नई दिल्लीः सीवर ट्रीटमेंट की समस्या को दूर करने के लिए अब जापान के एक्सपर्ट मदद करेंगे। जापान की टेक्नॉलजी का प्रयोग कर एक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। यह प्लांट जापान के सेंट्रल कंट्रोल रूम से भी रिमोट के जरिए जुड़ा रहेगा। साथ ही, जापान के एक्सपर्ट और ट्रेंड कर्मचारी प्लांट में हर समय मौजूद रहेंगे।

इस पूरे प्रॉजक्ट का कॉर्डिनेटर सीपीसीबी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में सीवरेज की 50 पर्सेंट गदंगी कॉमन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) तक पहुंच ही नहीं रही है। 50 पर्सेंट में भी एक बड़ा हिस्सा तकनीकी कारणों की वजह से ट्रीट नहीं हो पाता। इस समस्या की वजह से दिल्ली में जमा गंदगी भूजल को प्रदूषित कर रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 70 पर्सेंट तक गंदगी भूजल को प्रदूषित करने का काम कर रही है। इसकी वजह है कि सीईटीपी भी खराब हैं या पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं।

ऐसे में जापान की व्यवस्था को काफी सही माना गया। जापान की टेक्नॉलजी वाले सीईटीपी सीवरेज की गंदगी से पानी अलग कर देती है जिसके बाद बाकी बची गंदगी का कई तरीके से निपटान होता है। द जापान इंटरनैशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) ने चेन्नै के अंबातुर औद्योगिक क्षेत्र में भी कुछ समय पहले ऐसा ही सीईटीपी लगाया था, जो पूरी तरह सफल रहा है।

सीपीसीबी से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले हफ्ते जायका ने इसके लिए संपर्क किया था। मंत्रालय को यह टेक्नॉलजी काफी पसंद आई। जायका को इसके लिए केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्रालय से भी जुड़ने की सलाह दी गई है। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को कॉर्डिनेटर बना दिया। लिहाजा, सीपीसीबी के दो अधिकारियों ने हाल ही में जायका प्रतिनिधिमंडल के साथ एक बैठक कर इस बाबत पूरी प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इस रिपोर्ट पर दोनों मंत्रालयों की मंजूरी लेकर काम शुरू कर दिया जाएगा।