नई दिल्लीः राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले दलितों को लुभाने के लिए भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी मुहिम के तहत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चार अक्टूबर को राज्य स्तर की दलित महारैली में शामिल होने के लिए बीकानेर पहुंच रहे हैं। राजस्थान के भाजपा अनुसूचित जाति मोचार् के अध्यक्ष ओपी महेंद्र ने बताया कि राज्य में बीकानेर अनुसूचित जाति का केंद्र है इसलिए रैली का अपना महत्व होगा। हमारे पास अनुसूचित जाति के मतदाताओं के लिए विशेष रणनीति है।

राजस्थान में 34 विधानसभा सीट अनुसूचित जाति समुदाय के लिए आरक्षित है। भाजपा ने  2013 में इनमें से 32 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं करा सकी। उन्होंने बताया कि हमारी 32 आरक्षित सीटों पर जीत कई मायनों में महत्वपूर्ण है। हमने जितनी सीटें जीतीं, उसमें 10 महिला विधायक रहीं। यह दिखाता है कि अनुसूचित जातियों के मत प्रतिशत में भाजपा की गहरी पकड़ है।

इसके अलावा राजस्थान में उदयपुर, डुंगरपुर, बांसवाड़ा और राजसमंद  और अन्य जिलों में एक या दो विधानसभा सीटें आरक्षित है। राजस्थान में मेघवाल, बैरवा, रैगर, कोली, जाटव, खटीक, हरिजन, नायक, धोबी, धानुक, मोची, जींगर, डोम, ढोली, महार, मेहरा, नट जैसी जातियां अनुसूचित जाति या दलित समुदाय में आती है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में राजस्थान के आदिवासी जिलों में रहने वाले 12 हजार से अधिक किसानों का कृषि ऋण माफ किया है। भाजपा सरकार ने ज्यादातर वंचित और अविकसित समुदायों को लुभाने के लिए सफाई कर्मचारियों के लिए 21,500 नौकरियां सृजित की है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में कुछ दलितों को कथित रूप से निशाना बनाया गया और उनके खिलाफ अत्याचार के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है।