नई दिल्लीः सत्ताधारी बीजेपी छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को बेअसर करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। वहीं, मायावती से झटका खाने के बावजूद कांग्रेस के जोश में कोई कमी नहीं आई है। बीएसपी ने अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) के साथ गठजोड़ करने का फैसला किया है। इन सबके मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की नजरों में क्षेत्रीय दलों की अहमियत बढ़ गई है। दोनों प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच वोटों का अंतर बेहद कम रहता है और ऐसे में छोटी पार्टियों के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

झटके के बावजूद कांग्रेस मजबूत
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेता बीएसपी से चोट खाने के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रहे हैं। उनका दलील है कि कांग्रेस हमेशा राज्य में अकेले ही लड़ी है। वे बीएसपी के पूर्व कांग्रेसी नेता जोगी के साथ गठबंधन से हैरान नहीं हैं। एक कांग्रेसी नेता ने बताया, ‘हम सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और हर जगह बूथ लेवल कमेटी बना चुके हैं।’

उन्होंने बताया, ‘हमने सभी सीटों पर संकल्प शिविर का आयोजन भी किया था। पार्टी संभावित उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट भी कर चुकी है।’ अब कांग्रेस की योजना जेसीसी और बीएसपी को बीजेपी की बी-टीम के रूप में प्रचारित करने की है, जिन्हें वोट काटने के लिए आगे किया गया है। कांग्रेस को यह भी लगता है कि सत्ता विरोधी लहर और बदलाव की ललक भी उसका साथ देगी।

एक कांग्रेसी नेता ने बताया, ‘कई व्यापारी, मिडल क्लास, अपर कास्ट और बैकवर्ड लोग बीजेपी से नाराज होने के बाद भी जोगी की वजह से कांग्रेस को वोट नहीं करते थे। अब वे भी हमें ही वोट करेंगे।’