नई दिल्लीः यमन में 52 लाख बच्चों पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है। ब्रिटेन के गैर सरकारी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ ने यह चेतावनी दी है। देश के रणनीतिक महत्व वाले बंदरगाह पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के बड़े हमले ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।
संगठन के मुताबिक, गृहयुद्ध के कारण यमन में खाद्यान्न की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। देश की मुद्रा का लगातार अवमूल्यन हो रहा है। इससे और अधिक परिवार खाद्य असुरक्षा के खतरे के दायरे में पहुंच गए हैं।

संगठन ने कहा, लेकिन एक अहम खतरा यमन के मुख्य बंदरगाह शहर हुदायदाह पर हो रहे हमले हैं। यह बंदरगाह यमन की करीब दो तिहाई आबादी की आवश्यकताओं के लिए जीवनरेखा है। इस पर सऊदी गठबंधन की ओर से हमले जारी है। इससे जरूरी चीजों की आपूर्ति बाधित हो रही है। युद्ध के कारण बंदरगाह के बंद होने का अंदेशा लगातार बढ़ रहा है।

परमार्थ संगठन ने कहा कि यह स्थिति यमन के 10 लाख और बच्चों को अकाल की ओर धकेल चुकी है। जबकि 40 लाख से भी ज्यादा बच्चे पहले से भुखमरी के खतरे का सामना कर रहे हैं। इस तरह यमन में 52 लाख बच्चों पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है। संगठन ने अंदेशा जताया है कि अगर हालात तत्काल नहीं सुधरे तो इस साल के अंत तक करीब 36 हजार बच्चे मौत के मुंह में समा सकते हैं।

2015 से ही यमन गृहयुद्ध की चपेट में है, जब विद्रोही हौतियों ने देश के अधिकतर पश्चिमी हिस्से पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति अब्दुल्लाह मंसूर हादी को देश छोड़ने के लिए विवश कर दिया। सऊदी अरब और अन्य आठ अरब देश इसके पीछे ईरान की साजिश देखते हैं। उन्होंने हादी के शासन की बहाली के लिए हौती विद्रोहियों के खिलाफ यमन में हस्तक्षेप किया है। सऊदी अगुआई वाले गठबंधन को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन प्राप्त है।