नई दिल्लीः अमेरिका के काउंटर अमेरिकन एडवर्सरी थ्रू सैंक्शन एक्ट (काट्सा) के कारण एस-400 बैलिस्टिक मिसाइल की खरीद पर छूट की आस लगाए भारत को रूसी कंपनियों के साथ करीब आधा दर्जन अन्य समझौतों पर झटका लगने की आशंका है। भारत के साथ विभिन्न करार से जुड़ी छह से ज्यादा कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 तक रूस से रक्षा क्षेत्र में भारत करीब 1.9 अरब डॉलर का आयात करता रहा है। इनमें से ज्यादातर खरीद मौजूदा सैन्य उपकरणों के कलपुर्जों और भारत में बनाए जा रहे उपकरणों की उप-प्रणालियों से जुड़ी है। भारत ने कई रूसी कंपनियों के साथ मिलकर कुछ साझा उद्यम भी शुरू किए हैं। इन पर ग्रहण लगने को लेकर भारत ने अपनी चिंता से अमेरिका को अवगत कराया है।

भारतीय थिंक टैंक गेटवे हाउस इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना जल्द ही सुखोई बेड़े एसयू 30-एमकेआई को उन्नत करना चाहती है। एसयू-30 एमकेआई इस समय एन 011 एम पैसिव इलेक्ट्रानिक स्कैंड राडार सिस्टम (पेसा) से लैस है। इस सिस्टम की रूपरेखा रूसी कंपनी तिखोमोव साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंस्ट्रूमेंट ने तैयार की है।

वायुसेना अपने करीब 40 एसयू-30 एमकेआई को उन्नत एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड एरे रडार सिस्टम (ऐसा) से लैस करना चाहती है। यह तकनीक फेजोट्रान ने विकसित की है। इस कंपनी को अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। इस कारण सुखोई को उन्नत करने की योजना प्रभावित हो सकती है।

विश्व के शीर्ष सैन्य हार्डवेयर उपकरण के आयातकों में शामिल भारत की उपकरणों की खरीद के लिहाज से रूस पर बहुत ज्यादा निर्भरता है। गौरतलब है कि एस-400 बैलिस्टिक मिसाइल रूस की एलमाज एंटे द्वारा विकसित किया गया है। भारत इस मिसाइल की खरीद को लेकर अमेरिका से छूट की मांग कर रहा है। डीआरडीओ और रूस की मिक एनपीओ माशिनोस्ट्रोएनिया ने ब्रह्मोस विकसित किया है। इसके अगले चरण को लेकर कुछ आशंकाएं जाहिर की गई हैं।विश्व के शीर्ष सैन्य हार्डवेयर उपकरण के आयातकों में शामिल भारत की उपकरणों की खरीद के लिहाज से रूस पर बहुत ज्यादा निर्भरता है। गौरतलब है कि एस-400 बैलिस्टिक मिसाइल रूस की एलमाज एंटे द्वारा विकसित किया गया है। भारत इस मिसाइल की खरीद को लेकर अमेरिका से छूट की मांग कर रहा है। डीआरडीओ और रूस की मिक एनपीओ माशिनोस्ट्रोएनिया ने ब्रह्मोस विकसित किया है। इसके अगले चरण को लेकर कुछ आशंकाएं जाहिर की गई हैं।