शुंगलू कमेटी ने कहा केजरीवाल सरकार ने कानून और अधिकारों का दुरुपयोग किया

शुंगलू कमेटी ने कहा केजरीवाल सरकार ने कानून और अधिकारों का दुरुपयोग किया-दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने कानून और अधिकारों का दुरुपयोग किया है. बावजूद इसके कि अधिकारियों ने इस बारे में समय-समय पर उसे आगाह किया. लेकिन सरकार ने अफसरों के मशविरों पर ध्यान देने के बजाय ऐसे फैसले किए जिनके लिए वह कानूनी तौर पर अधिकृत ही नहीं थी.

ये बातें देश के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की अध्यक्षता में बनी एक कमेटी की रिपोर्ट में कही गई हैं. केजरीवाल सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए यह कमेटी 2016 में तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने बनाई थी. इस कमेटी ने सरकार के फैसलों से जुडी 404 फाइलों की जांच की. समिति ने पाया कि सरकार ने इनमें संवैधानिक प्रावधानों के अलावा प्रशासनिक प्रक्रिया संबंधी नियमों की भी अनदेखी की. लिहाजा, समिति ने सरकार के मुख्य सचिव, विधि एवं वित्त सचिव सहित अन्य अहम विभागीय सचिवों को भी तलब किया ताकि तमाम विभागीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा सके.

रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने समिति को बताया कि उन्होंने अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण के बारे में सरकार को आगाह किया था. अधिकारियों का कहना था कि उन्होंने सरकार को कानून के हवाले से दिल्ली में उपराज्यपाल के सक्षम प्राधिकारी होने की भी बात बताई. साथ ही, इसके गंभीर कानूनी परिणामों के प्रति भी चेताया. लेकिन सरकार ने तमाम परामर्शों को दरकिनार कर फैसले किए और संवैधानिक प्रावधानों, सामान्य प्रशासन से जुड़े कानून और प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन किया. इनमें सबसे अहम तो यही है कि सरकार ने किसी फैसले से पहले उपराज्यपाल से अनुमति लेने या फैसलों को लागू करने के बाद उनकी अनुमति लेने जैसी संवैधानिक अनिवार्यता को अनदेखा किया.

रिपोर्ट में मुख्यमंत्री केजरीवाल के 25 फरवरी 2015 के बयान का भी हवाला दिया गया है. इसमें उन्होंने कहा था, ‘कानून-व्यवस्था, पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों की फाइलें ही उपराज्यपाल की अनुमति के लिए भेजी जाएंगी.’ इसके बाद मुख्यमंत्री के सचिव ने 2015 में ही 29 अप्रैल को सभी विभागों को निर्देश जारी किया. इसमें कहा गया था, ‘जमीन, कानून-व्यवस्था और पुलिस के अलावा विधानसभा के विधायी क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी मामलों पर सरकार बेबाकी से फैसले कर सकेगी जबकि जमीन, कानून-व्यवस्था और पुलिस से संबद्ध मामलों की फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी जाएंगी. लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से होते हुए.’

रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने अपने करीबियों की तमाम पदों पर नियुक्ति की. जैसे कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की बेटी को एक सरकारी अभियान का मिशन अफसर बनाया गया. सरकारी संपत्ति के आवंटन सहित अन्य मामलों में भी इसी तरह से फैसले किए गए. तत्कालीन उपराज्यपाल जंग ने दिल्ली सरकार के क्षेत्राधिकार को लेकर महाधिवक्ता से परामर्श कर 15 अप्रैल 2015 को मुख्यमंत्री केजरीवाल को कानून के पालन की नसीहत दी थी. लेकिन केजरीवाल सरकार ने उसे भी नहीं माना.