ईश्वर का नाम सुखों की खान है और भाग्यशाली हैं वो जीव जो इससे जुड़ जाते हैं। राम नाम से जुड़कर भक्ति इबादत करके बुलंदियों को पाया जा सकता है और उन्हीं के द्वारा मालिक, प्रभु, परमात्मा के दर्श दीदार के काबिल बना जा सकता है। उक्त उद्गार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत
सिंह जी इन्सां ने रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रूहानी सत्संग के दौरान कहे। सत्संग के दौरान पूज्य गुरुजी ने 5850 लोगों को गुरुमंत्र, नामशब्द दिया। पूज्य गुरुजी ने च्साथीज् मुहिम के तहत दो निशक्तजनों को ट्राईसाइकिलें दी तथा शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के भलाई फंड से तीन जरूरतमंदों को ३ लाख रुपए के चैक प्रदान किए। पूज्य गुरुजी ने सत्संग के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा रूहानियत संबंधित लिखकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए।

श्रद्धालुओं को अपने पावन वचनों से लाभांवित करते हुए पूज्य गुरुजी ने कहा कि किसी को भी दुख दर्द तकलीफ में तडफता देखकर उसमें शामिल होना और उसे दूर करना इसी का नाम इंसानियत है। हमेशा इंसानियत को बुलंद रखों, ताकि शैतानियत खत्म होती जाए तभी इस धरा में स्वर्ग जन्नत से बढ़कर नजारे ले सकते हो। पूज्य गुरुजी ने कहा कि राम का नाम जपें तभी आप विचारों पर काबू पर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान कभी विचार शून्य नहीं होता, अगर कभी मन में बुरे विचार आते हैं तो उन पर अमल ना करें , बल्कि उनका डटकर मुकाबला करते हुए कुछ मिनट सुमिरन करें। उन्होंने कहा कि सच्ची भावना और दृढ यकीन से राम का नाम जपा जाए तो विचारों का शुद्धिकरण होगा और मालिक की दया-मेहर-रहमत के काबिल भी बना जा सकता है। अगर ईश्वर के नाम का सुमिरन करें तो अंतकरण की मैल धुलती जाएगी तथा जिस काम धंधे में लगे हुए हैं, उसमें भी मन लगेगा। गम दर्द चिंता से मुक्ति मिलेगी। पूज्य गुरुजी ने कहा कि ईश्वर का नाम सभी रोगों का मुक्कमल इलाज है, सच्ची भावना से जाप करें तभी प्रभु मिलते हैं।
पूज्य गुरुजी ने कहा कि असूल बना लो कि रोजाना सुबह शाम सुमिरन करना है। सुमिरन के पक्के बनेंगे चाहे दुख आए , चाहे सुख आए। सुबह जल्दी उठो और 15 मिनट से लेकर एक घंटा तक सुमिरन जरूर किया करो। नाश्ता आदि लेते हैं तो धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा का नारा लगाओ। घर में माताएं बहनें खाना बनाती हैं तो सुमिरन करके खाना बनाएं, इससे काम धंधे में भी फायदा होगा और घर की परेशानियां भी दूर होगी। खाना खाते व बनाते समय ईश्वर से लीव जोड़कर रखो। विचारों के शुद्धिकरण के लिए सेवा सुमिरन का असूल बनाओ। किसी की बातों में ना आओ। महीने में चार दिन यानि सप्ताह में एक बार सेवा अवश्य करों तथा बाल बच्चों के लिए 24 घंटों में से 2 घंटे अवश्य निकालें, जिंदगी का तालमेल बैठा लोगे तो सुख शांति में जिंदगी व्यतीत करते हुए मालिक के नजारे पाओगे।
*** आरक्षण के बारे में पूछे जाने पर पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि ईश्वर रहमत करे तथा प्रार्थना करते हैं कि मालिक शांति बनाए। उन्होंने कहा कि आपसी भाईचारे से बढ़कर दुनियां में कोई चीज नहीं होती। पूज्य गुरुजी ने कहा कि आरक्षण के बारे में उनकी निजी राय यह है कि पूरे देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग हैं, आरक्षण उनके लिए हो। कोई जाति पाति या धर्म के नाम पर नहीं होना चाहिए , ताकि वो जो पढ़ नहीं पाते या दीए की लौ में पढ़ रहें हैं, उनको मिलना चाहिए। आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए। बाकी समाज जाने या राजनीतिज्ञ लोग, फकीरी नजरिए से यह हमारी राय है।
** सत्संग के दौरान पूज्य गुरुजी ने थी मुहिम के तहत जगमेल सिंह पुत्र जीत सिंह निवासी बुरजसेमा, ब्लाक मौड मंडी, भटिंडा को तथा भुवनेश्वर पुत्र कंगालु निवासी सिरसा को ट्राई साईकिलें प्रदान की।
पूज्य गुरुजी ने शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के भलाई फंड में से मनदीप कौर पत्नी निहाल सिंह ब्लाक बुढलाडा तथा रतिया निवासी पिंकी पत्नी सूरज प्रकाश को कैंसर के इलाज के लिए 1-1 लाख तथा कर्मजीत कौर विधवा सतपाल इन्सां निवासी कल्याणनगर सिरसा को बच्चों के पालन पोषण के लिए 1 लाख रुपए का चैक सौंपा।
कौन प्रमाणित करेगा की फलाना ज्यादा गरीब है की ढिकाना. कही गरीब बने रहने की होड़ न लग जाए. कुछ और सोचना होगा.