
गुजरात में चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने की संभावना के सवाल पर बंटी हुई आम आदमी पार्टी के नेता बीच का रास्ता अपना सकते हैं और उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं जहां उनके जीतने की संभावना ठीकठाक है।
प्रदेश में पार्टी के नेताओं का एक वर्ग चुनाव लड़ने के खिलाफ है, वहीं कुछ को लगता है कि उसे सभी सीटों पर किस्मत आजमानी चाहिए। एक तीसरा वर्ग है जिसकी राय है कि उसे कुछ चुनिंदा सीटों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इन पर जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए।
राज्य में सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं से जानकारी एकत्रित कर क्षेत्रवार रिपोर्ट आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को सौंपी गयी है।
पार्टी की गुजरात इकाई के प्रभारी गोपाल राय ने राज्य के नेताओं के साथ दो दिन तक बैठक की जहां मौजूदा राजनीतिक हालात, कांग्रेस की संभावनाओं, मुख्य विपक्ष और किसानों से जुड़े मुद्दों समेत कई पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
हाल ही में राज्य में पाटीदार और दलित आंदोलन और इसका राज्य के चुनावों पर संभावित प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
पिछले सप्ताह पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने किसानों के मुद्दे पर गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अपने प्रदर्शन को तेज करने का फैसला किया था।
गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश में 2018 के अंत तक चुनाव होंगे।
आप नेता ने कहा, ‘‘गुजरात पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। इस समय चुनाव लड़ने, नहीं लड़ने से लेकर कुछ सीटों पर लड़ने तक, तरह तरह की राय हैं।’’
( Source – PTI )