नई दिल्ली : बचपन में अगर कभी माँ चावल लेने दुकान पर भेजती थी, तो समझ नहीं आता था कि कौन-सा वाला लूँ। अरे, तो वो दुकान वाले भैया भी कम-से-कम 6 तरह के दाम बताते थे. चावलों के अब हर चावल के दाम में फर्क क्यों था, यह तो नहीं समझ आया। समझ आता था तो बस इतना कि भैया बासमती चावल लेने है। बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि बासमती चावल की खुशबु ही अलग होती है।लेकिन आज के समय मे अब दुकान तो इंटरनेट पर ही है तो मैंने सोचा क्यों न इंटरनेट पर ही अच्छे चावल को सर्च किया जाये