नई दिल्ली : बचपन में अगर कभी माँ चावल लेने दुकान पर भेजती थी, तो समझ नहीं आता था कि कौन-सा वाला लूँ। अरे, तो वो दुकान वाले भैया भी कम-से-कम 6 तरह के दाम बताते थे. चावलों के अब हर चावल के दाम में फर्क क्यों था, यह तो नहीं समझ आया। समझ आता था तो बस इतना कि भैया बासमती चावल लेने है। बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि बासमती चावल की खुशबु ही अलग होती है।लेकिन आज के समय मे अब दुकान तो इंटरनेट पर ही है तो मैंने सोचा क्यों न इंटरनेट पर ही अच्छे चावल को सर्च किया जाये फिर क्या था जब कुछ अच्छा खाने को हो तो इतनी देरी कंहा लगती है। इंटरनेट पर लिखा बेस्ट राइस उसमें कई वैराइटी खुल के सामने आईं लेकिन उसमें सबसे अलग किस्म की वैराइटी थी मैंने कई देखी लेकिन उसमें मुझे AMIRA RICE ही अच्छी लगी। उसके बाद क्या जब कोई चीज मन को भा जाती है तो उसको मंगवाने में इतनी देरी कंहा है मैंने तुरंत AMIRA RICE चावल ऑर्डर कर दिया। लेकन जब वो घर आया और मां के हाथों बनाया गया भाई कसम से चावल नहीं मोती लग लग रहे थे। क्या स्वाद मजा आ गया। उसके बाद मैं तो मम्मी को बोल दिया अब घर आएगा तो AMIRA RICE ही चावल आएगा नहीं तो कोई चावल नहीं आएगा, अब जब बेटा बोल दे तो माँ कहा मना कर सकती है. अब मेरे यंहा तो AMIRA RICE चावल ही बनता आप क्या सोच रहे हैं। एक बार तो खा कर देखिये मजा न आये तो बोलियेगा। देखिये मुझे AMIRA RICE चावल अच्छा लगा तो मैं अपने आप को लिखने से नहीं रोक सका आप भी एक बार अपने घर मंगा कर देखिये।