
बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ 2012 में दर्ज किए गए एक केस को आज निरस्त कर दिया । इस केस में ठाकरे और मनसे कार्यकर्ताओं पर आरोप था कि पुलिस की ओर से इजाजत नहीं दिए जाने के बावजूद उन्होंने आजाद मैदान दंगे के खिलाफ एक विरोध मार्च निकाला था ।
न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की एक पीठ ने इस मामले में पुलिस की ओर से आरोप-पत्र दायर करने में बहुत देरी किए जाने का हवाला देते हुए केस निरस्त कर दिया । ठाकरे और मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ बंबई पुलिस कानून के तहत केस दर्ज किया गया था, जिसमें छह महीने के भीतर आरोप-पत्र दाखिल करना होता है ।
11 अगस्त 2012 को कई अल्पसंख्यक संगठनों की ओर से किए गए प्रदर्शन के दौरान हुए दंगों के विरोध में ठाकरे ने 21 अगस्त 2012 को गिरगाम चौपाटी से आजाद मैदान तक मार्च की अगुवाई की थी ।
( Source – PTI )