वैश्विक आतंकवाद पर लगभग हर देश चिंतित है। भारत के सामने जो चुनौतियां हैं उनका समाधान क्या हो… इस पर नई इबारत लिखी गई। यहां ये तय हुआ कि विश्व्व्यापि आतंकवाद की समाप्ति के लिए भारत को आगे बढ़ कर ज़िम्मेदारी लेनी होगी। वक़्त आ गया है कि देश के अंदर मज़बूती से यह बात रखी जाए की हिंदुस्तान अपनी सरहद के अंदर और बाहर दोनों की सुरक्षा बख़ूबी कर सकता है। यह बातें आतंकवाद पर नयी दिल्ली में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कही। देश या विदेश में यह अपने आप का पहला सम्मेलन था जब बड़ी तादाद में सरकार के मंत्री, राज्यपाल, रक्षा विशेषज्ञ, अनेकों विश्विदतलाय के वाइस चांसलर, बुद्धिजीवी, मुस्लिम धर्मगुरु, मुस्लिमों और अन्य धर्म के लोगों ने शिरकत की।

11 दिसंबर को हैबिटेट सेंटर एक अद्भुत अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का साक्षी बना। मुख्य वक्ता और थिंक टैंक के रूप में वरिष्ठ संघ नेता इंद्रेश कुमार, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, सांसद प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह और सुभाष सरकार शामिल हुए। इनके अलावा जाने माने डिप्लोमेट्स, रक्षा विशेषज्ञ, विश्विद्यालयों के वाइस चांसलर एवं अनेकों बुद्धिजीवियों का जमावड़ा लगा।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि पाँच हज़ार साल पहले भी सत्य और असत्य को पहचानता था जब उसने कंस और रावण को नकार कर कृष्ण और राम को चुना था। आज भी वो समय है जब भारत सत्य और ईमानदारों के साथ खड़ा होगा ना कि असत्य और अधर्मियों और ज़ुल्म करने वालों के साथ। तालिबानियों, कट्टरपंथियों, आतंकवादियों के साथ न भारत पहले था और न कभी होगा। भारत सदैव वासुदेव कुटुम्बकम को मानता आया है और उसने इसी विचारधारा को तरजीह देते हुए हर किसी का सम्मान किया है। संघ नेता ने कहा की लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों का अगर भारत में दम घुटता है तो फिर ऐसे में उन्हें देश छोड़ के कहीं और अपना बसेरा बनाना चाहिए, भारत का माहौल ख़राब नहीं करना चाहिए। उन्होंने कश्मीर का ज़िक्र करते हुए कहा कि सरकार लगातार अच्छे क़दम उठा रही है और कश्मीर में अमन और विकास दोनों काम बख़ूबी किया जा रहा है। और अब आतंकियों की कोई जगह न तो देश में है और न विदेश में होगी क्योंकि भारत पहले भी विश्वगुरु था और अब एक बार फिर वो समय आया है जब उसको आगे बढ़ कर अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी।

संघ के वरिष्ठ नेता ने चीन, पाकिस्तान गठजोड़ पर भी हमला करते हुए कहा कि ये देश मानवता के दुश्मन हैं। चीन ने ऐसा कीटाणु बनाया जिसने दुनिया के डेढ़ करोड़ लोगों की जान ले ली लेकिन चीन ने कभी अपने कृत्य के लिए माफ़ी तक नहीं माँगी। जबकि पाकिस्तान आईएसआई, जैश, लश्कर और अन्य आतंकी संगठनों के ज़रिए आतंकवाद फैलता रहता है। इंद्रेश कुमार ने कहा मदरसों में तहज़ीब और तालीम के बजाए दहशतगारदी की शिक्षा देने वालों को मुँहतोड़ जवाब देने का समय आगया है।

इस मौक़े पर केंद्रीय मंत्री जनरल सिंह ने भी खुल के अपनी बातें रखीं। जनरल वीके सिंह ने आतंकवाद की समाप्ति के लिए सर्वधर्म पर जोर देते हुए हर किसी को एक साथ जोड़ने का आह्वान किया। इसके लिए जनरल सिंह ने भारतीय सेना का उदाहरण देते हुए बताया कि सेना में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्म के लोग एक साथ मिल जुल के रहते हैं और हर किसी का काम भारत की हिफाजत करना होता है। वीके सिंह ने बताया कि जब सेना में होली का त्योहार होता है तो मौलवी पूजा करते हैं और ईद का मौका होता है तो पंडित पूजा करता है। जनरल सिंह ने कहा कि आतंकवाद के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसकी जड़ बहुत गहरी होती है। जहां तक अफगानिस्तान का मामला है यह पाकिस्तान, चीन, ईरान, कजाकिस्तान, तुर्कमिनिस्तान जैसे देशों से जुड़ता है। और इन देशों के राजनीतिक मफाद के कारण अफगानिस्तान में उथल पुथल करता है। जिसके कारण पावर का ट्रैंगल बनाने के चक्कर में बंदूक के सहारे तालिबान जैसे लोग सत्ता में अपनी जगह बनाते हैं और इनको खाद पानी पड़ोस के मुल्क से मिलता है। जनरल सिंह ने कहा कि आतंकवाद फैलाने के लिए लोग डर का व्यापार करते हैं। जैसे कहीं दो लोगों को मार के लटका देना ताकि लोग देखें तो डरें, स्कूल पर हमला कर के मासूम बच्चों की जान लेकर डराते हैं। इसी तरह बाजार में धमाका कर के व्यापारियों को डराने का काम करते हैं। और इन सबका मकसद होता है डर के सहारे सत्ता हासिल करना। तालिबान को पाकिस्तान से आईएसआई के अलावा सरपरस्ती मिलती रही है जैश और आइसिस के आतंकियों की। जनरल सिंह ने कहा इन सब पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है की लोगों के बीच तालीम और मानवता का सही पाठ पढ़ाया जाए। मतभेद खत्म कर के लोगों को जोड़ना जरूरी है न कि तोड़ना।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तालीम और इंसानियत का हवाला देते हुए अपनी बातें रखी। उन्होंने कुरान की आयतों को पढ़ के समझाया कि अल्लाह या कुरान ये कहीं नहीं फरमाता है कि मुसलमान को फैलाने के लिए बंदूक या किसी हथियार का सहारा लेना है। आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग न तो कुरान पढ़ते हैं और न कुरान की तालीम को समझते हैं बल्कि उल्टा कुरान और इस्लाम को बदनाम करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मदरसों में चार ऐसी तालीम दी जाती है जिससे आतंकवाद फैलता है क्योंकि उन्हें ये तालीम दी जाती है कि इस्लाम सर्वश्रेष्ठ है और उन्हें पूरी दुनिया में इसका प्रसार प्रचार करना है। आरिफ़ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर अल्लाह चाहता कि हर तरफ़ सिर्फ़ इस्लाम और मुसलमान हों तो वो ख़ुद वैसी दुनिया बनाते न कि दुनियावी फ़ौजी ये काम करते।

स्वामी चिदमयानन्द ने कहा मंदिर मस्जिद जाने से महत्वपूर्ण है किसी के दुःख को समझकर दूर करना ही धर्म है। करोना काल में दुनिया ने देखा कि भारत ने किस प्रकार अनेकों देशों की मदद की। फ़्री में खाना और दावा पहुँचायी। अगर कोई देश यह समझता है कि बंदूक़ के बल पर शक्ति हासिल की जा सकती है तो यह ताक़त नहीं आतंकवाद है। ऐसे देश, समाज या संगठन की कड़ी निंदा करनी चाहिए।

भाजपा सांसद प्रकाश जवदेकर ने कहा कि समय बदल रहा है। 2014 के पहले देश में आए दिन बम विस्फोट हुआ करता था लेकिन जब से केंद्र में मोदी सरकार आयी है तब से जम्मू कश्मीर और नोर्थ ईस्ट की कुछ घटनाओं को छोड़ कर देश में इस तरह की घटनाएँ बंद हो गयी हैं। दुनिया ने देखा की अगर हमारे एक शहर पर विस्फोट कराया जाता है तो भारत दूसरे देश की सीमा में घुस कर मारता है। भाजपा सांसद ने कहा जब अमेरिका के ट्वीन टावर पर हमला हुआ तो अमेरिका पूरी तरह हिल गया था लेकिन फिर उन्होंने ऐसी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जिससे अमेरिका में फिर कभी कोई घटना नहीं हुई।

शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने भी अपनी बातें रखी और मोदी सरकार की तारीफ़ की जिसने देश और दुनिया में अपने अच्छे कामों से चौतरफ़ा नाम अर्जित किया है।

डॉक्टर उमैर इलियासी ने भी तालिबानी शक्ति और आतंकवाद का विरोध किया। उन्होंने कहा इस्लाम का असल अर्थ मेल मिलाप से है, सलामती से है।

इस मौक़े पर भारत के लगभग हर राज्यों से अनेकों विश्विद्यालय के वाइस चांसलर और चांसलर मौजूद रहे। जिनमें ख़ास तौर पर एएमयू, जामिया, जम्मू कश्मीर यूनिवर्सिटी, जामिया हमदर्द, हैदराबाद की मानू से भी वाइस चांसलर मौजूद रहे।

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