
भारत के जूनियर हाकी विश्व कप चैम्पियन बनने के छह महीने के भीतर ही टीम से नाता टूटने के लिये ‘संवादहीनता’ को जिम्मेदार ठहराते हुए कोच हरेंद्र सिंह ने इस बात से इनकार किया कि वह ओमान की टीम से जुड़ने जा रहे हैं लेकिन उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बिना पारिश्रमिक के काम करना अब उन्हें मंजूर नहीं । हाकी इंडिया ने हाल ही में जूड फेलिक्स को हरेंद्र की जगह जूनियर हाकी टीम की कमान सौंपी है ।
हरेंद्र ने कहा कि वह इससे आहत नहीं है लेकिन उन्हें दुख इस बात का है कि उनकी सेवाओं का इस्तेमाल भारतीय खेल प्राधिकरण या हाकी इंडिया नहीं कर रहे हैं । उन्होंने भाषा से कहा ,‘‘ मैं आहत नहीं हूं लेकिन मुझे दुख है कि मैं भारतीय हाकी को बहुत कुछ दे सकता हूं पर मेरी सेवाओं का इस्तेमाल नहीं हो रहा है । मैं डेवलपमेंटल टीम को भी मार्गदर्शन देने को तैयार हूं ।’’ उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि वह ओमान की टीम के तकनीकी सलाहकार बनने जा रहे हैं । उन्होंने कहा ,‘‘ विदेशी टीम से जुड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता । पूरी दुनिया जब भारतीय हाकी को देख रही है तो मैं दूसरे देश क्यों जाउं । वैसे भी मैं भारतीय हाकी से अलग नहीं हो सकता ।’’
यह पूछने पर कि उन्होंने कोच के पद के लिये आवेदन क्यो नहीं किया, उन्होंने कहा ,‘‘ 2008, 2011 और 2014 में जब भी मुझे कोच बनाया गया तब फोन करके इत्तिला दी गई । अगर कोई नयी प्रक्रिया इस बार थी तो मुझे इसकी जानकारी नहीं थी और ना ही मैंने वेबसाइट देखी । हाकी इंडिया ने भी मुझे सूचित नहीं किया । क्रिकेट में जब मौजूदा कोच स्वत: भावी कोच के दावेदारों में शामिल हो सकता है तो हाकी में क्यों नहीं ।’’
( Source – PTI )