छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बस्तर क्षेत्र के लिए कहा जाता है कि यदि बस्तर को समझना है तब आप एक बार यहां के हाट में हो आइए। ये हाट यहां की जीवन रेखा हंै, जो यहां के लोगों की जिंदगी को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं।
बस्तर में लगने वाले इन हाटों में यहां की संस्कृति, खान पान और रहन सहन के तौर तरीकों को बेहद करीब से जानने और समझने का मौका मिलता है। यहां के बाजारों में रोजमर्रा की चीजंे, कपड़े, स्थानीय आभूषण, चीटी की चटनी, सल्फी और पारंपरिक मुर्गा लड़ाई देख सकते हैं, जो बस्तर को खास बनाते हैं।
लेकिन पिछले कुछ दशकों से बस्तर में बिखरे बारूद और नक्सलियों के कारण यह परंपरा और संस्कृति कहीं खो गई थी और ज्यादातर हाट बंद हो गए थे। इसे फिर से जीवित करने के लिए सुरक्षाबलों ने कोशिश की है। ऐसी ही कोशिशों का नतीजा है कि बस्तर जिले के नेतानार बाजार को पिछले दिनों फिर से खोल दिया गया। इस प्रयास से यहां के ग्रामीण खुश हैं। नेतानार के सरपंच सहदेव नाग कहते हैं कि नक्सली हिंसा के कारण बरसों से बंद हाट को फिर से खुलवाने के बहुत प्रयास किए गए, लेकिन नक्सलियों से भय के कारण व्यापारी यहां आने से कतराते थे। पिछले दिनों सुरक्षाबलों के प्रयास से इसे फिर से शुरू किया गया है।
( Source – PTI )