मध्यभारत प्रान्त में संघ के स्वयंसेवक हजारों बच्चों को उनके घर जाकर पढ़ा रहे हैं. स्वयंसेवकों द्वारा 516 बाल गोकुलम केंद्र स्थापित किये गए हैं. कोरोना महामारी के कारण स्कूली विद्यार्थियों की शिक्षा व्यवस्था काफी हद तक प्रभावित हुई है. जिसको देखते हुए संघ के स्वयंसेवक और संघ से जुड़े हुए विभिन्न संगठनों के अनेक कार्यकर्ता आगे आए हैं. संघ के स्वयंसेवकों के द्वारा विद्यार्थियों को उनके घर पर ही जाकर शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है और ख़ास बात यह है कि बच्चों को विषयगत शिक्षा के अलावा संस्कार और नैतिक शिक्षा का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है. मध्य भारत प्रांत के विभिन्न जिलों में बच्चों की शिक्षा के लिए बाल गोकुलम केंद्र चलाए जा रहे हैं.

इस महामारी की वजह से यदि सबसे ज्यादा नुकसान किसी चीज का हुआ है तो वह है बच्चों की शिक्षा का. देशभर में संक्रमण के चलते सभी स्कूल, कोचिंग संस्थानों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में देशभर के बच्चों के साथ-साथ प्रदेश के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पूरे तरीके से ठप हो गई है. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों और संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों और सामाजिक संस्थाओ के अनेक कार्यकर्ताओं  ने बच्चों की शिक्षा के लिए अपने कदम बढ़ाए हैं. सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने अपने भोपाल प्रवास के दौरान स्वयंसेवकों से मोहल्ला कोचिंग शुरू करने का आह्वाहन किया था. जिसके बाद स्वयंसेवकों के द्वारा मध्यभारत प्रांत के विदिशा ,गुना , शिवपुरी ,  मुरैना , राजगढ़ , नर्मदापुर, भोपाल, ग्वालियर विभाग के लगभग सभी जिलों में बाल गोकुलम केंद्र यानी कि मोहल्ला पाठशाला का संचालन शुरू किया गया है. इसके साथ ही संघ से जुड़े विद्याभारती, सेवा भारती , एकल विद्यालय सहित सामाजिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के द्वारा कोराना से संबंधित प्रसाशन के सभी निर्देशों का पालन करते हुए बच्चों को उनके मोहल्लों में जाकर छोटे-छोटे समूह में पढ़ा रहे हैं.

इन बाल गोकुलम केंद्र का मुख्य उद्देश्य है कि संकट की घड़ी में जब सभी विद्यालय, कोचिंग संस्थान बंद पड़े हुए हैं तो ऐसे समय में बच्चों की शिक्षा का कार्य ना रुके और बच्चों को लगातार उनकी पढ़ाई कराई जा सके. क्योंकि यही बच्चे देश का आने वाला भविष्य हैं और ऐसे समय में यदि इन बच्चों की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है तो सीधे तौर पर यह समाज का बड़ा नुकसान है.

31 जिलों में 264 स्थानों पर चल रहे 516 केंद्र

प्राप्त जानकारी के अनुसार 22 अगस्त तक मध्यभारत प्रांत के 31 जिलों में 264 स्थानों पर 516 बाल गोकुलम के अंदर चलाए जा रहे हैं और भविष्य में प्रांत के अन्य जिलों और विशेषकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र जहाँ बच्चों को पढ़ाई में बाधा आ रही है उन क्षेत्रों  तक इन केंद्रों को चलाने की योजना है. इन गोकुलम केंद्र की सहायता से हजारों विद्यार्थी नियमित अपनी कक्षाएं ले रहे हैं, गोकुलम केंद्रों में बच्चों को नियमित गृह कार्य दिया जा रहा है और दूसरे दिन गृह कार्य को जाँच कर बच्चों को सभी विषय अलग-अलग रूप से पढ़ा रहे हैं.

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