पंजाब में पराली से बन रही बिजली, दिल्ली-एनसीआर को ‘स्मॉग’ से राहत की उम्मीद
पंजाब में पराली से बन रही बिजली, दिल्ली-एनसीआर को ‘स्मॉग’ से राहत की उम्मीद

पंजाब में बायोमास संयंत्र के जरिए पराली (फसल के अवशेष) से बड़े पैमाने पर बिजली पैदा की जा रही है, जिससे ठंड के मौसम में दिल्ली-एनसीआर को जहरीले धुएं और धुंध यानी ‘स्मॉग’ से राहत मिलने के आसार हैं । पर्यावरण प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के अध्यक्ष भूरे लाल ने यह जानकारी दी ।

उन्होंने यह भी कहा कि पराली जलाने की बजाय इससे बिजली पैदा करने से खेतों में फसलों के मित्र कीटों का बचाव भी हो रहा है और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बरकरार है । उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी पराली से बिजली पैदा करने की दिशा में प्रयास जारी हैं ।

बिजली बनाने के लिए करीब 420 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर पराली को जलाया जाता है। इससे पैदा होने वाली भाप से बिजली पैदा होती है । एक किलोग्राम पराली से तीन किलोग्राम भाप तैयार होती है । 10 किलोग्राम भाप से एक किलोवाट बिजली पैदा होती है । पंजाब में 2 करोड़ टन जबकि हरियाणा में 1.5 करोड़ टन पराली पैदा होती है ।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित ईपीसीए के प्रमुख भूरे लाल ने पीटीआई-भाषा से खास बातचीत में कहा, ‘‘पंजाब में अभी लगभग छह संयंत्रों के जरिए पराली से 62.5 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है । इन संयंत्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनका लक्ष्य पराली से 600 मेगावॉट बिजली पैदा करना है । पराली से बिजली बनाने के कारण किसानों द्वारा इन्हें खेतों में जलाने के मामलों में कमी आई है ।’’ पूर्व आईएएस अधिकारी लाल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी भी पराली से बिजली बनाने के मामले में दिलचस्पी ले रही है और कुछ निजी कंपनियां भी इस क्षेत्र में हाथ आजमाने के लिए तैयार हैं । उन्होंने बताया कि खेतों में खाद के तौर पर भी पराली का इस्तेमाल किया जा रहा है । ‘रोटावेटर’ मशीन के जरिए पराली को खाद में तब्दील किया जा रहा है ।

गौरतलब है कि पिछले साल दीपावली के बाद करीब 10-12 दिनों तक ‘स्मॉग’ ने पूरी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया था । ‘स्मॉग’ के कारण लोगों ने सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, आंखों में जलन, दमा और एलर्जी की शिकायत की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को आपातकालीन उपाय करने के निर्देश दिए थे । दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और दीपावली में बड़े पैमाने पर आतिशबाजी को इस जहरीले ‘स्मॉग’ का प्रमुख कारण बताया गया था ।

लाल ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए दिल्ली में लगभग 20 स्टेशन आगामी 20 अक्तूबर तक पूरी तरह सक्रिय कर दिए जाएंगे । उन्होंने कहा कि हरियाणा में लगभग 13 और एनसीआर के दायरे में आने वाले उत्तर प्रदेश के जिलों में भी 10 स्टेशन की स्थापना करनी है ।

उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर को ‘स्मॉग’ से बचाने के लिए केंद्र द्वारा अधिसूचित ‘ग्रेडेड रिस्पॉंस एक्शन प्लान’ (ग्रैप) को अमल में लाना है, जिसके तहत एनटीपीसी का बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन (बीटीपीएस) 15 अक्तूबर से बंद कर दिया जाएगा । नगर निगमों को कचरा जलाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं । मकानों की निर्माण सामग्री और सड़कों की धूल से पैदा होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए भी विभिन्न निर्देश जारी किए गए हैं ।

लाल ने यह भी कहा कि वह दिल्ली में कचरे के पहाड़ों के पक्ष में नहीं हैं । उन्होंने कहा कि कचरे को अलग-अलग करना और उन्हें शोधित (रीसाइकिल) करना ज्यादा जरूरी है । उन्होंने कहा कि दिल्ली में पैदा होने वाला सारा कचरा फेंकने के लिए 600 एकड़ जमीन चाहिए, पर इतनी जमीन है कहां।

पर्यावरण उपकर (सेस) के मुद्दे पर लाल ने कहा कि इस मद में करीब 800 करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं और दिल्ली सरकार को इन्हें शहर में पर्यावरण एवं परिवहन सुविधाएं बेहतर बनाने के लिए खर्च करना है ।

ईपीसीए के कार्य क्षेत्र के दायरे में दिल्ली-एनसीआर के साथ अन्य राज्यों को भी लाने के सवाल पर लाल ने बताया कि यह फैसला करना सुप्रीम कोर्ट का काम है, लेकिन राज्य सरकारें अपना अधिकार किसी और को नहीं देना चाहतीं ।

( Source – PTI )

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