म्यामां के जातीय उग्रवादी समूहों और म्यामां सरकार के बीच शांति वार्ता कराने के लिए मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथांगा आज बैंकॉक रवाना हुए, जहां वह ऐसे 16 उग्रवादी समूहों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।
मिजो नेशनल फ्रंट :एमएनएफ: के पूर्व भूमिगत नेता रहे जोरामथांगा ने पीटीआई से कहा, ‘‘उग्रवादी समूह शांति वार्ता जारी रखने के लिए म्यामां सरकार से अपनी मांगों को तय करने की प्रक्रिया में हैं और भारत सरकार तथा पूर्ववर्ती एमएनएफ के बीच 1986 में हुए मिजो शांति समझौते के बारे में जानना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि 16 उग्रवादी समूहों के प्रतिनिधियों के साथ उनकी बैठक मुख्यत: थाईलैंड के चियांगमाई और बैंकॉक में होगी।
मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि म्यामां के उग्रवादी समूहों को सैन्य जुंटा के बजाए नई असैन्य सरकार में ज्यादा विश्वास है और वे वार्ता के परिणाम को लेकर आशावादी हैं।
जातीय उग्रवादी समूह काचिन्स, कारेन्स, चिन्स, वास, आर्कानिज और शान जैसे उग्रवादी समूह वषरें से क्षेत्रीय स्वायत्ता के लिए लड़ रहे हैं और कुछ समूहों ने हाल में जोरामथांगा और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत के. डोभाल की मौजूदगी में सरकार के साथ युद्धविराम पर दस्तखत किए थे।
एमएनएफ के पूर्व प्रमुख को जातीय उग्रवादी समूहों और म्यामां सरकार के बीच म्यामां शांति प्रक्रिया में शामिल रहने का निमंत्रण मिला हुआ है।
( Source – पीटीआई-भाषा )