संजय सक्सेना
                     
    पांच सौ वर्षो के लम्बे और थका देने वाले इंतजार के बाद प्रभु राम के जन्म स्थल अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। यह हर हिन्दू का सौभाग्य है जो प्रभु राम का मंदिर निर्माण होते देखेगा, वर्ना न जानें हमारी-आपकी कितनी पीढ़िया यह सपना पाले हुए दुनिया से विदा हो गईं। प्रभु राम का मंदिर बन रहा है, यह बड़ी बात है,लेकिन इससे भी  खास यह है कि मंदिर निर्माण बिना किसी विवाद और पूरी मर्यादा के साथ होने जा रहा है। हर रामभक्त की आस्था हिलोरे ले रही है। हर राम भक्त  अपने जीवन में कम से कम एक बार जरूर अयोध्या आकर रामलला के दर्शन करना चाहता है,जिन रामलला के दर्शन मात्र से उनके भक्त धन्य हो जाते हैं,उनके लिए इससे अच्छा क्या हो सकता है कि वह दर्शन के साथ-साथ  भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण में भी अपना छोटा सा योगदान दें सकें। राम भक्तो की इस इच्छा को विश्व हिन्दू परिषद ने पूरा करने का निर्णय लिया है। विश्व हिन्दू परिषद ने रामभक्तो के द्वारे-द्वारे जाकर मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह का बीड़ा उठाया है ताकि सभी राम भक्त मंदिर निर्माण में सहयोग देकर कृतज्ञ हो सके।
  विश्व हिंदू परिषद (विहिप) छोटे से लेकर बड़े-बड़े दानदाताओं तक से धनसंग्रह के लिए देशभर में संग्रहकर्ता स्वयंसेवकों का सेतु तैयार कर रहा है। विहिप ने संग्रहकर्ता स्वयंसेवकों  के जरिए मकर संक्रांति से शुरू होने वाले 44 दिनों के इस धनसंग्रह अभियान में करीब 55 करोड़ रामभक्तों तक पहुंचने की योेजना बनाई गई है। रामलाल के मंिदर निर्माण के इस महाभियान को पूरा करने के लिए विहिप को बड़े स्तर पर स्वयंसेवकों की जरूरत पड़ेगी,जिसके लिए स्वैच्छिक सेवायोजना की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इसके तहत कोई भी चाहे वह किसी भी धर्म-संप्रदाय, जाति-वर्ग का हो, अपनी सुविधा और प्रतिबद्धता के आधार पर भागीदारी कर सकता है। विहिप ने इसके लिए देशभर के ऐसे सभी नागरिकों का आह्वान किया है जो इस कार्य के लिए कुछ समय निकाल सकें।
   दरअसल, धनसंग्रह से लेकर मंदिर निर्माण तक, विहिप समेत इससे जुड़े अन्य संगठनों की कोशिश यही है कि रामलला के मंदिर निर्माण से लेकर उनके नाम पर जो भी निर्माण कार्य किया जाए, वो पूरी तरह मयार्दित हों। उसमें रामराज्य की अवधारणा के अनुरूप जन-जन की भागीदारी हो।बिना किसी भेदभाव के,सभी जाति-वर्ग के लोग मंदिर निर्माण कार्य में भागीदार बनें ताकि मंदिर निर्माण के महाभियान को उसकी संपूर्णता के साथ आगे बढ़ाया जा सके।
      मंदिर निर्माण के लिए धन सग्रह महाभियान की कमान संभालने  विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं यह महज धनसंग्रह या मंदिर निर्माण का विषय नहीं है,यह श्रीराम के जीवन मूल्यों, संस्कारों, उनकी शिक्षा और मर्यादाओं को जन-जन तक पहुंचाने के साथ-साथ  सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक समरसता का भी अभियान है। लिहाजा, इस महा अभियान में उद्योगपति, राजनेता, समाजसेवी, सांस्कतिक, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि, क्या अमीर, क्या गरीब सबको जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। विहिप धन संग्रह के लिए किसान, मजदूर, वंचित, गिरीवासी और वनवासी आदि सभी समाज के सम्मुख झोली फैलाने से गुरेज नहीं करेगा। समाज के हर वर्ग, संप्रदाय को साथ लेकर मंदिर निर्माण को राष्ट्र निर्माण के संकल्प तक जाना है। बंसल कहते हैं कि धनसंग्रह के लिए देश भर में बड़ी तादाद में स्वयंसेवकों की जरूरत होगी और यह संकल्प रामभक्तों की बदौलत ही पूर्ण होना है। इसलिए विहिप ने सभी का आह्वान किया है कि वो राम काज के लिए आगे आएं। राष्ट्र मंदिर के निर्माण में समूचे देश की भागीदारी हो और हर किसी को यह अहसास हो कि पांच सदियों के इस सपने के साकार होने में उसका भी कुछ अंश है।
    रामलला के मंदिर निर्माण की मुहिम में युवाओं, विद्यार्थियों, व्यवसायियों,समाजसेवियों, किसानों-मजदूरों, राजनीतिक-सांस्कृतिक-धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों और नौकरीपेशा लोगों में जो भी चाहेगा उसे इस अभियान में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा धर्म ध्वजा फहराने वाले संतों के आदेश पर विहिप ने धनसंग्रह के लिए चार लाख गांवों तक पहुंचने का भी लक्ष्य तय किया है। विश्व हिन्दू परिषद ने कुछ परेशानियों से बचने के लिए मंदिर निर्माण में न्यूनतम आर्थिक सहयोेग की राशि 10 रुपये रखी है। सहयोग का स्मरण हमेशा रामभक्त के लिए साथ रहे इसके लिए सहयोगकर्ताओं को रसीद और कूपन दिया जाएगा। इसके लिए 10 रुपये, सौ रुपये और एक हजार रुपये के कूपन छपवाए गए हैं। इसी तरह दो हजार रुपये से अधिक रकम देने वालों को रसीद दी जाएगी। इसी तरह सहयोगकर्ताओं को प्रस्तावित भव्य श्रीराम मंदिर और प्रभु राम के चित्र भी दिए जाएंगे।

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