कोई धर्म मजहब बुरा नहीं धर्मगुरु ही पूर्वाग्रही होता

—विनय कुमार विनायक
उसने नारी को जला दिया फिर इसने भी जला दिया
उसने बलात्कार किया फिर इसने भी बलात्कार किया
वो दुष्ट अगर मोमिन था तो ये दुष्ट काफिर निकला!

आखिर क्यों हर मतावलंबी बुराई का ही नकल करता
धर्म और मजहब से आचार-विचार क्यों निकल जाता?

आखिर क्यों नहीं मानव सद्विचार को ग्रहण करता?
दुष्कर्म करके आखिर क्यों वो मृत्यु दंड वरण करता?
माता पिता गुरु क्यों शिशु को दुराग्रही शिक्षण देता?

कोई धर्म मजहब बुरा नहीं, धर्मगुरु ही पूर्वाग्रही होता
आज धर्मगुरु ही स्वधर्मग्रंथ के विवादित प्रवचन देता!

धर्मगुरु अपने धर्मग्रंथ की बुराईयों का समर्थन करता
धर्मगुरु अपने मजहबी कुत्सा का महिमा मंडन करता
धर्मगुरु अपने दुष्कर्मी अनुयायियों का संरक्षण करता!

एक धर्म के गुरु दूसरे धर्म के प्रति विष वमन करता
अपने धर्मस्थल में देशधर्म का विरोधी प्रशिक्षण देता!

है अगर अभीष्ट किसी धर्म मजहब का मरना मारना
अवतार नबी बुद्ध ईसा मसीह के नाम हिंसा फैलाना
फिर बेकार ईश्वर आराधना काबा काशी मक्का जाना!

भेदभाव नफरत करना, ढोंगी धार्मिक होने का बहाना
ऐसे मत मजहब मानने से बेहतर नास्तिक हो जाना!

ये मत कहो कि बुद्ध ने मना किया था ईश्वर वन्दन
तीर्थंकर पैगंबर गुरु ने बाधित किया राम कृष्ण पूजन
सब अवतार तीर्थंकर नबी थे निज समाज के महाजन!

हर अवतारी ने तत्युगीन समाज सुधार हेतु किए प्रयत्न
दूसरे धर्म पंथ के ईश्वर प्रभु नबी की निंदा करते दुर्जन!

बुद्ध ने अगर आत्मा परमात्मा पुनर्जन्म से इंकार किया
तो इसका आशय पूर्वज राम कृष्ण का अस्वीकार नहीं था
बल्कि पुनर्जन्म के बहाने कर्मकाण्डी शोषण से उद्धार था!

ऐसे ही अब्राहम मूसा ईसा नबी ने कबिला में सुधार किया
पराए धर्म संस्कृति धर्मग्रंथों से सदाचरण अंगीकार किया!

मानव जन्म तभी सफल हो सकता जब मानव सद्गुणी हो
आचार विचार संस्कार विद्या बुद्धि मेधा में ऋषि मुनि हो
घृणा द्वेष से मुक्त मानवता के हित में सब पक्के धुनी हो!

ईश्वर अल्लाह खुदा के आगे मानवीय रिश्ते न अनसुनी हो
अंत तक जीवन लक्ष्य मजहब नहीं,जननी व जन्मभूमि हो!
—विनय कुमार विनायक

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