पैरो की है हम असली ढाल

0
559

पैरो की है हम असली ढाल,
उनकी रखते हम रखवाल।
चलते चलते हम घिस जाते,
तब भी हम साथ निभाते।।

हमको सब बाहर छोड़ जाते,
अंदर वालो को तकते रहते।
खुद ड्राइंग रूम में बैठ जाते,
हमको दरवाजे पर छोड़ जाते।।

मार पिटाई जब कभी होती,
हमारी सहायता सब है लेते।
फिर क्यों करते हमारा अपमान
मनुष्य से ज्यादा क्या हम शैतान ?

जब हम नए नए है होते,
बड़े चाव से हमे पहनते।
जब हम पुराने हो जाते,
हमे बाहर फैंक दिए जाते।।

हमे पहन कर सभी इतराते,
पर हम कभी नही इतराते।
शोकेस में जब हम लगे होते,
ललचाई आंखो से देखे जाते।।

जब संसद में झगड़ा होता,
हमारा प्रयोग खूब है होता।
तब भी हम कुछ न कहते,
दुम दबाकर हम बैठ जाते।।

आर के रस्तोगी

Previous articleजीवन में अमृत है पानी : जल है तो कल है
Next articleवीर सावरकर : तेज, तारुण्य एवं तिलमिलाहट की प्रतिमूर्ति
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here