—विनय कुमार विनायक
वतन से प्यार करनेवाले शब्दकार को नमन!
वतन से प्यार करनेवाले भारतीय संस्कार को नमन!
वतन पर न्योछावर अमर दिलवर दिलदार को नमन!
हम रहें ना रहें वतन सलामत रहे
वतन पर मरने मिटने वाले विचार को नमन!
चंद्रशेखर आजाद को नमन!
भगत सिंह को श्रद्धा सुमन!
अमर सेनानी सुभाषचंद्र बोस की जोश को नमन!
हरिसिंह नलवा,जस्सासिंह की जवांदानी को नमन!
असफाक को नमन!
खुदा की नायाब कृति खुदीराम को नमन!
जिन्होंने कृष्ण गीता लेकर शहादत दी थी
रामप्रसाद बिस्मिल को नमन!
ऊधम सिंह के दमखम को नमन!
सुखदेव राजगुरु बटुकेश्वर को नमन!
वंदेमातरम! वंदेमातरम! वंदेमातरम!
मर जाएँ हम मिट जाएँ हम
इस मिट्टी में मिल जाए हमारा तन
फिर भी बोलेंगे हम
वंदेमातरम! वंदेमातरम! वंदेमातरम!
जय भारत जय भारती
हम उतारें तुम्हारी आरती
भारत की माटी को नमन!
झाँसी को नमन! काशी को नमन!
अमृतसर की स्वर्ण मिट्टी अकाल तख्त को नमन!
गुरु अर्जुनदेव तपे जहाँ उस तबा के रेत को नमन!
गुरु तेगबहादुर के शीश गिरे जहाँ उस शीशगंज को नमन!
गुरु गोविंद के दो लाल चिन गए उस दीवार को नमन!
आनंदपुर साहिब चमकौर युद्ध भूमि को नमन!
ननकाना साहिब लाहौर की पुण्य भूमि को नमन!
मेरठ को नमन! अल्फ्रेड पार्क को नमन!
भागलपुर के तिलका मांझी चौक को नमन!
अंडमान के कालापानी सेलुलर जेल को नमन!
जलियांवाला बाग के रक्त सने धूल कण को नमन!
भारत के जर्रे-जर्रे कण-कण को कोटिशः नमन!
भारत से उत्तम और न्यारा नहीं कोई और वतन!
भारत की माटी है चंदन!
भारत सोने की चिड़िया ज्यों इंद्र का नंदन कानन!
भारत माँ वीर प्रसूता सदा सुहागन!
भारत की माटी का करते हम पूजन और वंदन
भारत की मिट्टी से हम
भारत माटी का हमारा तन
भारत की माटी से हमारा पुश्त दर पुश्त बंधन!
सौ-सौ बार लेंगे हम जनम, सौ-सौ बार मरण!
भारत की माटी का
सौ-सौ बार हम करते अभिनंदन
वंदेमातरम! वंदेमातरम! भारत वतन!
भारत माता के प्रति अतिशय विनम्र!
–विनय कुमार विनायक