रामस्वरूप रावतसरे
फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कास जूनियर भारत दौरे पर हैं। फिलीपींस और चीन में सालों से तनातनी है। चीन के अनधिकृत दावों से फिलीपींस परेशान है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बढ़ा रखा है। अब भारत-फिलीपींस ने रक्षा, सुरक्षा और समुद्री रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कास जूनियर के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद 13 समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए बताए जा रहे है। दोनों देश सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के बीच सहयोग को भी अंतिम रूप देने पर सहमत हुए हैं। दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध हुए हैं। दरअसल, चीन ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ मिलकर भारत घेरने की जो रणनीति बनाई है, अब उसी के काउंटर में भारत भी चीन के परंपरागत दुश्मनों जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलीपींस को साधने में लग गया है।
दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में भारत और फिलीपींस मिलकर गश्त लगा रहे हैं, जिससे चीन को टेंशन होना स्वाभाविक है। भारतीय नौसेना के तीन जहाज पहली बार फिलीपींस में नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं। भारत का हाइड्रोग्राफी जहाज भी इस नौसैनिक अभ्यास में शामिल है। ब्रह्मोस की आपूर्ति के बाद फिलीपींस भारत से और अधिक रक्षा उपकरण खरीदना चाहता है। इससे समंदर में भारत के इस ब्रह्मास्त्र को लेकर ड्रैगन और भी टेंशन में है, हालांकि, यह भारत की प्रमुख रणनीति है।
डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार चीन की एक और कमजोर नस है फिलीपींस। इसके साथ भी भारत के संबंध बेहतर हुए हैं। भारत-फिलीपींस के बीच राजनयिक संबंध 1949 में कायम हुए थे। भारत मनीला में एक दूतावास रखता है जबकि फिलीपींस का नई दिल्ली में एक दूतावास है। फिलीपींस और भारत के बीच 11 जुलाई 1952 को मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे जबकि दोनों देशों के बीच 5 अगस्त 2025 को एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित हुई थी।
इसी के तहत भारत की यात्रा पर आए फिलिपींस के राष्ट्रपति फ़र्डिनेंड मार्कास जूनियर ने भारत के आसपास के समुद्री क्षेत्र को एशिया पैसिफिक के बजाय इंडो पैसिफिक कह कर संबोधित किया है। उनके कहने का सीधा अर्थ है कि एशिया पैसिफिक का अभिभावक और रक्षक भारत है। उनकी यह यात्रा भारत और फिलिपींस सम्बन्धों में एक नया अध्याय है। इस दौरान रक्षा सहयोग मजबूत करने की बात भी हुई है।
यह दौरा भारत और फिलीपींस के बीच कूटनीतिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के अवसर पर हो रहा है। इसे दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। स्वागत समारोह के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मार्कास ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की बदलती स्थिति पर बात की। उन्होंने कहा कि अब इसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की बजाय इंडो-पैसिफिक क्षेत्र कहा जा रहा है और यह आज की वैश्विक राजनीति, व्यापार और अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से दर्शाता है। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों और बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति के कारण दोनों देशों के लिए कई नए अवसर उभरे हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “यह यात्रा नई संभावनाओं की खोज और हमारे मौजूदा संबंधों को मजबूत करने के लिए है।”
फिलीपींस के राष्ट्रपति मार्कास ने भारत में होने पर खुशी जताई और हाल के वर्षों में भारत के तेज विकास की सराहना की। उन्होंने अपने पिता और पूर्व राष्ट्रपति फर्डिनैंड मार्कास सीनियर को याद करते हुए कहा कि वे 1976 में भारत की यात्रा करने वाले पहले फिलीपीनी राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति मार्कास ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है कि मैं अपने चार पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों के नक्शेकदम पर चलते हुए भारत आया हूँ। मैं भारत की अगुवाई में हुई शानदार उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूँ। जब मैंने दिल्ली में कदम रखा, तो भारत के तेज बदलाव और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ऊर्जा मुझे साफ महसूस हुई।” राष्ट्रपति मार्कास ने कहा, “हाल के वर्षों में हमारे बीच सहयोग काफी बढ़ा है। मुझे खुशी है कि अब हम इस मित्रता को एक पूर्ण रणनीतिक साझेदारी में बदल रहे हैं।”
राष्ट्रपति मार्कास ने लोगों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों पर एक भाषण दिया। उन्होंने इस दौरान ऐलान किया कि भारतीय पर्यटकों के लिए फिलीपींस में वीजा-फ्री प्रवेश की सुविधा होगी। उन्होंने और अधिक संख्या में भारतीयों को फिलीपींस घूमने का निमंत्रण दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया कि भारत ने फिलीपींस के पर्यटकों के लिए वीजा की फीस माफ़ कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “हम इस साल अक्टूबर से सीधी उड़ानों की दोबारा शुरुआत का स्वागत करते हैं और इस तरह की सीधी हवाई कनेक्टिविटी को आगे भी बनाए रखने और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
जानकारी के अनुसार भारत और फिलीपींस के नेताओं के बीच बातचीत में रक्षा और समुद्री सहयोग पर खास जोर दिया गया। राष्ट्रपति मार्कास ने भारत को रक्षा उद्योग में सहयोग खासकर भारत से ब्रह्मोस मिसाइल जैसे रक्षा प्लेटफॉर्म के निर्यात के लिए धन्यवाद दिया। बातचीत में संयुक्त सैन्य अभ्यास, समुद्री गतिविधियों में सहयोग, अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आदान-प्रदान और अन्य रक्षा सहयोग के पहलुओं पर भी चर्चा होना बताया जा रहा है।
भारत ने यह भी कहा कि वह कई देशों को रक्षा प्लेटफॉर्म निर्यात कर रहा है और फिलीपींस भी इन प्लेटफॉर्म्स में रुचि दिखा रहा है। दोनों देशों के बीच जहाजों के दौरे और बहुपक्षीय मंचों के तहत सहयोग पर भी चर्चा हुई। यह सहयोग आपसी समझ, समुद्री क्षेत्र की निगरानी बढ़ाने, इंटरऑपरेबिलिटी बेहतर बनाने और आपदा प्रबंधन में तैयारियों को मजबूत करने पर केंद्रित है। इसके अलावा, भारत ने अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं और कम लागत वाले स्पेस प्रोग्राम के बारे में भी बताया। राष्ट्रपति मार्कास ने माना कि उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की लागत प्रभावशीलता का अध्ययन किया है और वे भारत की तकनीक का उपयोग मौसम की सटीक भविष्यवाणी, कृषि सुधार और आपदा राहत जैसे सामाजिक क्षेत्रों में करना चाहते हैं।
भारत और फिलीपींस ने रक्षा क्षेत्र में एक अहम कदम उठाया है। अप्रैल 2024 में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें डिलीवर की थी। यह मिसाइलें 2022 में हुए 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3100 करोड़) के समझौते के तहत दी गई हैं। इन मिसाइलों को भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के जरिए भेजा गया था। यह भारत की ओर से दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश फिलीपींस को किया गया पहला बड़ा रक्षा निर्यात है।
रामस्वरूप रावतसरे