ट्रम्प भारत और मोदी से नाराज क्यों है

राजेश कुमार पासी

डोनाल्ड ट्रंप जब चुनाव लड़ रहे थे तो भारत का एक बड़ा वर्ग उनकी जीत की कामना कर रहा था । डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के कारण उन्हें भारत समर्थक माना जा रहा था इसलिए उनकी जीत पर भारत में जश्न मनाया गया । डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद जब अवैध भारतीय प्रवासियों को अपने देश से भारत भेजा तो पता चला कि उनका व्यवहार भारतीयों के प्रति मित्रतापूर्ण नहीं है । उन्होंने अपमानजनक तरीके से भारतीयों को भारत भेजा जिसका देश में विरोध भी हुआ । इसके बाद ट्रंप ने जब विभिन्न देशों को अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने के लिए टैरिफ लगाने की धमकी दी तो उन्होंने यह धमकी भारत को भी दी और कहा कि भारत अमेरिकी सामानों पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाता है । उन्होंने भारत को अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता करने के लिए कई बार डेडलाइन दी और कहा कि अगर भारत के साथ अमेरिका का समझौता नहीं हो पाता है तो अमेरिका भारत पर टैरिफ लगा देगा ।

 अब उन्होंने एक अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ के अलावा रूस के साथ व्यापार करने पर जुर्माना लगाने की घोषणा कर दी है हालांकि एक अगस्त की तारीख को बढ़ाकर 7 अगस्त कर दिया गया है । अब देखना है कि इस तारीख को आगे बढ़ाया जाता है या नहीं क्योंकि भारत ने कह दिया है कि वो किसी दबाव में आकर समझौता करने वाला नहीं है । दोनों देशों की इस सम्बन्ध में बातचीत चल रही है. जब बातचीत के बाद समझौते का रास्ता निकलेगा तो भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता कर  लेगा । भारत ने कहा है कि  अगर बातचीत का सकारात्मक नतीजा नहीं निकला तो समझौता नहीं होगा । 

              ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जब भारत की संसद में चर्चा चल रही थी उस दौरान ही ट्रंप ने कहा था कि भारत एक मित्र देश है लेकिन उसकी टैरिफ दरें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं । विपक्ष मोदी जी का मजाक बना रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप उनका दोस्त है और भारत को नुकसान पहुंचाने की बात कर रहा है । वैसे देखा जाए तो डोनाल्ड ट्रंप विभिन्न देशों को अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता करने के लिए धमकी दे रहे हैं और कुछ देशों ने उनकी धमकी से डरकर अमेरिका  के साथ समझौता भी कर लिया है । ट्रंप की बौखलाहट बढ़ती जा रही है क्योंकि भारत ने दबाव में आकर समझौता करने से मना कर दिया है । इसके अलावा उन्होंने भारत को कई बार कहा है कि वो रूस से हथियार और तेल खरीदना बंद कर दे क्योंकि इससे रूस की अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा हो रहा है । भारत ने अभी तक उनकी इस बात पर भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है और कहा है कि भारत अपने हितों के अनुसार ही आगे बढ़ेगा ।

 ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान यूक्रेन-रूस और हमास-इजराइल युद्ध रुकवाने का वादा किया था लेकिन उन्हें इस काम में कोई कामयाबी नहीं मिली है । अब वो चाहते हैं कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीदना बंद कर दे और दबाव में आकर रुस यूक्रेन के खिलाफ  युद्ध रोक दे । इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप चाहते थे कि भारत उन्हें युद्ध विराम करवाने का श्रेय लेने दे लेकिन भारत ने इसके लिए भी हामी नहीं भरी । पाकिस्तान इस मामले पर चुप है लेकिन भारत सरकार कई बार युद्ध विराम में किसी तीसरे देश की भूमिका से इंकार कर चुकी है । मोदी जी ने तो संसद में ही घोषणा कर दी कि युद्ध विराम करवाने में किसी भी नेता की कोई भूमिका नहीं थी । इससे भी डोनाल्ड ट्रंप बहुत बुरी तरह से मोदी जी से चिढ़े हुए हैं और बार-बार युद्ध-विराम करवाने का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं । राहुल गांधी और विपक्ष के दूसरे नेता युद्ध-विराम को लेकर मोदी जी को चुनौती दे रहे हैं कि वो सार्वजनिक रूप से कह दें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं । कूटनीति में ऐसे बयान नहीं दिए जाते , इसलिए मोदी जी ने ट्रंप को झूठा बोलने की जगह किसी भी नेता की भूमिका से इंकार कर दिया है । देखा जाये तो उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से ट्रंप को झूठा करार दिया है । इसके बाद ट्रंप का पारा और चढ़ गया है । 

                वास्तव में ट्रंप पहले व्यापारी हैं और बाद में वो नेता हैं, इसलिए वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनकी राजनीति अमेरिका का ही नुकसान कर रही है । वो भूल गए हैं कि वैश्विक राजनीति में सब कुछ आर्थिक हितों के लिए नहीं किया जाता है । अजीब बात है कि उन्होंने भारत को चिढ़ाने के लिए पाकिस्तान के साथ समझौता करने का ऐलान कर दिया है और उस पर भारत से कम सिर्फ 19 प्रतिशत टैरिफ लगाया है । उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में तेल के बड़े भंडार हैं और अमेरिका पाकिस्तान की तेल निकालने में मदद करेगा. हो सकता है कि भविष्य में पाकिस्तान भारत को तेल निर्यात करे । उनके इस बयान का पाकिस्तान में ही मजाक उड़ाया जा रहा है और पाकिस्तानी पूछ रहे हैं कि वो तेल भंडार कहाँ हैं। वास्तव में ट्रम्प भारत को चिढ़ा रहे हैं लेकिन भारत उनकी इस बचकाना हरकत पर चुप है। उन्होंने इसी बौखलाहट में बयान दे दिया है कि भारत और रूस एक मरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं । उनके इस बयान ने मोदी सरकार के लिए घरेलू राजनीति में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं क्योंकि विपक्षी दलों को इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हैं इसलिए उनके बयान का भारत सरकार वैसा विरोध नहीं कर सकती जैसा कि किसी दूसरे वैश्विक नेता का कर सकती थी। दूसरी बात यह भी है कि ट्रम्प मोदी के दोस्त माने जाते हैं इसलिए भी मोदी का मजाक बन रहा है।

देखा जाए तो ट्रंप  की  भाषा न तो मोदी के दोस्त की है और न ही भारत के हितैषी  की है । ऐसा नहीं है कि ट्रंप सिर्फ मोदी और भारत के खिलाफ ही ऐसी भाषा बोल रहे हैं. वो कई देशों और नेताओं के साथ ऐसा कर चुके हैं । मोदी सरकार की समस्या यह है कि ट्रंप भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र तथा छोटे उद्योगों में भी अमेरिकी कंपनियों का प्रवेश चाहते हैं । यहां तक कि वो चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियों को भारत सरकार द्वारा की जाने वाली खरीद और निर्माण में भी हिस्सा लेने का मौका दिया जाए । भारत सरकार किसी भी हालत में अपने किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकती, इसलिए समझौता होने की संभावना नहीं बन पा रही है ।  

               इसके अलावा ट्रंप  चाहते हैं कि भारत सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका से खरीदे और विशेष रूप से वो चाहते हैं कि भारत एफ-35 को खरीद ले लेकिन भारत ने इससे इंकार कर दिया है । भारत का कहना है कि वो अपने हितों को देखकर ही फैसले लेगा ।  भारत की स्वतंत्र विदेश नीति ट्रंप को बर्दाश्त नहीं हो रही है । पिछले कई वर्षों में भारत-अमेरिका के सम्बन्ध बहुत आगे बढ़ चुके हैं लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के कारण इन संबंधों में बिगाड़ पैदा हो रहा है । ट्रंप यह भी भूल चुके हैं कि यही भारत चीन के खिलाफ अमेरिका का प्रमुख सहयोगी  देश है । बिना भारत की मदद के अमेरिका चीन का मुकाबला नहीं कर सकता । जो  बाइडन ने यूक्रेन की मदद करके रूस को चीन की गोद में डाल दिया और अब अगर ट्रंप नहीं संभले तो भारत भी चीन के पाले में जा सकता है । भारत अपने मतभेदों के कारण चीन से दूरी बनाए हुए हैं हालांकि चीन पिछले कई सालों से भारत पर डोरे डाल रहा है और रूस भी उसकी मदद कर  रहा है । अमेरिका की  कई कंपनियों की बागडोर भारतीयों के हाथ में है और भारतीय अमेरिका के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं । ट्रंप जिस तरह से भारत और भारतीयों का अपमान कर रहे हैं, वो अंत में अमेरिका का ही नुकसान करेगा ।

अगर ट्रंप द्वारा लगाया गया टैरिफ भारत पर लागू कर दिया जाता है तो इससे भारतीय उद्योगों को कुछ नुकसान होना स्वाभाविक है और इसके लिए भारत को तैयार रहना होगा । भारत ट्रंप के दबाव में अपने किसानों की अनदेखी नहीं कर सकता । देखना है कि भारत और अमेरिका के बीच चल  रही बातचीत का क्या नतीजा निकलता है । अमेरिकी टैरिफ के लिए भारतीय कारोबारियों को तैयार रहना होगा और सरकार को भी इसमें उनकी मदद करनी होगी । वैसे ट्रंप की धमकी की वजह यह है कि वो भारत से अपनी मनमर्जी का समझौता चाहते हैं जो कि वो कई देशों से कर चुके हैं. भारत  को कमजोर समझना ट्रंप की भूल  है, उन्हें यह भूल जितनी जल्दी समझ आ जाए, दोनों देशों के लिए अच्छा है । डोनाल्ड ट्रंप  अहंकार में डूबे हुए हैं और अहंकारी मनुष्य अंत में खुद का ही नुकसान करता है । ऐसे में भारत की जनता और विपक्ष को मोदी सरकार के साथ खड़े होने की जरूरत है क्योंकि मोदी सरकार देशहित के लिए ही ट्रंप से लड़ रही है । भारत की अर्थव्यवस्था ऐसी है जिसमें किसानों और छोटे उद्यमियों के  हितों की अनदेखी नहीं की  जा सकती । इसे देश की जनता और विपक्ष को समझना होगा । 

राजेश कुमार पासी

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