जानिए कैसे होता है पायजब/पायल/बिछिया पहनने से स्वास्थ लाभ

 हमारे देश भारत में पायजब/पायल/बिछिया महिलाओं के सोलह श्रृंगारों में से एक है। भारत में पायल पहनना बहुत पसंद किया जाता है। पायल पैरों की सुंदरता को बढ़ाती है और इसकी आवाज से पुरूष भी महिलाओं की ओर आकर्षित होते हैं। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  इसके पीछे बुजुर्ग कुछ शुभ-अशुभ के कारण मानते है लेकिन इसके अलावा पायल पहनने से महिलाओं को कई स्वास्थ्य से संबंधित लाभ भी मिलते है। प्राचीन समय में पायल विशेष संकेत के लिए पहनी जाती थी। ताकि कोई स्त्री कहीं आए या जाए तो पायल से उसके आने-जाने का संकेत मिलता रहे और वास्तुशास्त्र के अनुसार पायल के स्वर से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है।

 

भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न प्रकार के धर्म तथा उन धर्मों से जुड़े रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। सभी धर्मों का विभिन्न पहनावा एवं उसके साथ पहने जाने वाले स्त्रियों के आभूषण बेहद दिलचस्प होते हैं। वैसे तो इन भिन्न-भिन्न धर्मों में महिलाओं द्वारा धारण किए जाने वाले आभूषणों में काफी अंतर होता है।ज्यादातर आभूषणों में समानताएं देखने को मिलती हैं। कई बार तो उन आभूषणों को पहनने के पीछे की मान्यता तथा कारण भी समान होते हैं। क्योंकि अंत में यह आभूषण परम्परा से ही तो जुड़े होते हैं और भारतीय परम्परा रिश्तों को जोड़ने का काम करती है।

शादी के बाद महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। इन सोलह श्रृंगारों के 15 वें पायदान पर पैर की उंगलियों में पहनने वाली बिछिया आती है। अमूनन बिछिया चांदी की बनी होती है। बिछिया के पांरपरिक गुण होने के साथ साथ कुछ वैज्ञानिक फायदें भी होते हैं। बिछिया का संबंध सीधे गर्भाशय से जुड़ा है। इन्हें दोनों पैरों में पहनने से महिलाओं का मासिक चक्र नियमित होता है। आयुर्वेद की मर्म चिकित्सा में महिलाओं में फर्टिलिटी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए बिछिया के महत्व को माना गया है।

एक स्त्री द्वारा यदि आभूषण धारण किए जाते हैं तो वह सभी सोने के या फिर सभी चांदी के नहीं होने चाहिए। कमर से ऊपर के आभूषण सोने से बने हों तथा कमर से नीचे पांव तक के सभी आभूषण चांदी के होना आवश्यक है। यानी कि कान की बाली, झुमका, गले का हार, कमरबंद, चूड़ियां, कंगन आदि आभूषण सोने के हों।लेकिन पायल, बिछिया जैसे आभूषण जो पैरों में पहने जाते हैं वह चांदी के बने होने चाहिए। इन सभी तर्कों को मान्यता देने के लिए कुछ धार्मिक, परम्परागत एवं साथ ही वैज्ञानिक कारण दिए गए हैं। पैरों तथा पांव की अंगुलियों में कौन सा आभूषण पहना जाता है तथा क्यों, इसके भी तथ्य प्राचीन काल से ही मौजूद हैं।

पांव में पहनने वाले आभूषणों में से यदि सबसे ज्यादा कोई आभूषण पहना जाता है तो वह है पायल। एक से दो चेन और कुछ घुंघरुओं से बनी हुई पायल को अंग्रेजी भाषा में ‘एंक्लेट’ तथा पंजाबी में ‘पंजेब’ कहा जाता है। पायल का भारतीय परम्पराओं में खास स्थान है। एक कन्या के जन्म के बाद ही 12वें दिन उसे रस्मों-रिवाज के साथ पायल पहनाई जाती है। यह पायल भी चांदी की होती है। एक कन्या या फिर स्त्री को पायल पहनाने का सबसे बड़ा मकसद होता है उसे संसार की बुरी नज़रों से सुरक्षित करना।चांदी की पायल जिस कन्या द्वारा धारण की जाती है, वह उसे आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा से बचाती है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  हमारे आसपास मौजूद ‘तामस तत्व’ जो कि दैत्यों की ऊर्जा का प्रतीक है उसे पायल को बनाने में इस्तेमाल हुई चांदी की धातु अपने भीतर खींच लेती है।पायल से उत्पन्न होने वाली आवाज़ को क्रिय-शक्ति का नाम दिया गया है। इस क्रिय-शक्ति की तरंगें वातावरण से जब मिलती हैं तो उसे नकारात्मक ऊर्जा से बचाती हैं। इसके अलावा यह शक्ति पांव तले आने वाली पाताल की तरंगों को रोकती है। इसी प्रकार से यह पायल ना केवल स्त्री के पांव की सुंदरता को बढ़ाती है बल्कि साथ ही उसके आसपास एक रक्षा कवच भी बनाती है।

इसके अलावा पायल पहनने से महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। माना जाता है कि चांदी में ‘इच्छा शक्ति’ उत्पन्न करने की ताकत होती है। इस इच्छा शक्ति की मदद से वह किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को स्त्री के आसपास नहीं फटकने देती। यह शक्ति हमेशा पायल के ईर्द-गिर्द घूमती रहती है। वह ऐसे कि पायल की धातु सोना या चांदी जब पैरों से रगड़ती है तो हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद होती है। गहने पहनना हमेशा से ही महिलाओं को बहुत भाता है. तरह-तरह के जेवरात पुराने समय से चलन में हैं जिन्हें पहनकर महिलाएँ अपने सौंदर्य को और अधिक निखारने का प्रयास करती हैं. लेकिन खास बात यह है कि तरह-तरह के ये आभूषणों बदलते ट्रेंड और फैशन की दौड़ में भी आगे निकल रहे हैं. पतली-पतली काँच की चूड़ियाँ अब चौड़े कड़ों में तब्दील हो फैशन का अहम हिस्सा हैं. झुमकियों की जगह खूबसूरत टॉप्स ने ले ली है. अगर बात करें पैरों में पहने जाने वाले गहने, यानी पायल की तो यह भी बदलाव की इस दौड़ में शामिल होकर एक नए कलेवर में फैशन प्रेमी युवतियों का दिल जीत ने को तैयार है.

औरतों का शरीर और मन पुरुषों की अपेक्षा कोमल, संवेदनशील माना गया है. औरतों के शरीर में हारमोंस के उतार चढाव का शरीर और मन, विचारों पर काफी असर होता है. घर परिवार की बीसों जिम्मेदारियों की बात की जाय तो औरतें तन-मन से समर्पित रहती है.

ऐसे में प्राचीन वैज्ञानिको, ऋषियों ने कुछ ऐसे रिवाज़, कुछ ऐसे उपकरण बनाये जिससे औरतों के मन और स्वास्थ्य की रक्षा हो सके. प्रचलन में बढ़ने पर इनको सुन्दर गहनों का रूप मिलने लगा और यह नियमपूर्वक पहने जाने लगे.

सोने के गहने गर्मी और चांदी के गहने ठंडी का असर शरीर में पैदा करते हैं. कमर के ऊपर के अंगों में सोने के गहने और कमर से नीचे के अंग में चांदी के आभूषण पहनने चाहिए. यह नियम शरीर में गर्मी और शीतलता का संतुलन बनाये रखता है.

पायजब/पायल/बिछिया, सोने और चांदी दोनों धातुओं की होती है। लेकिन चांदी की पायल पहना अधिक शुभ माना जाता है। सोने की पायल पहनी जाती है। लेकिन सोना गले और सिर की शोभा बढ़ाता है। इसलिए शास्त्रों में सोने की पायल को पैरों में पहनने का जिक्र बहुत कम मिलता है।आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि किसी महिला का स्वास्थ्य खराब है और वह पायल पहन ले तो अपने आप ही उसकी तबीयत में सुधार आने लगता है। पायल धारण करने से उसके भीतर पनप रही सभी नकारात्मक ऊर्जा की तरंगें धीरे-धीरे बाहर आने लगती हैं। यदि किसी स्त्री के पांव में सूजन जाये और वह उस पर पायल पहन ले तो कुछ ही घंटों में वह सूजन कम हो जाती है। यह एक जांचा-परखा उदाहरण है, जिसे देख साइंस भी हैरान है।
============================== ============================== ===============
जानिए पैरों में पायजब/पायल/बिछिया पहनने के फायदे –

 

1- पैरों की खूबसूरती बढ़ाए—-

पैरों में पायल पहनने से महिलाओं के पैरों की खूबसूरती में चार चांद लग जाता है| सोलह श्रृंगार में शामिल पायल की मधूर आवाज पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करने का अचूक नुस्खा है. इसलिए आज भी अधिकांश महिलाएं अपने पैरों में पायल पहनती हैं |

 

2- पुरुष हो जाते हैं सतर्क—

महिलाओं के पैरों में पायल पहनने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि पायल की आवाज से घर के पुरुषों को पहले ही पता चल जाता था कि घर की कोई महिला उनकी तरफ आ रही है और वो उनके आने से पहले सतर्क हो जाते थे |महिलाओं के पायल की आवाज पुरुषों को किसी भी असहज होनेवाली स्थिति से बचा लेती थी और वो अपनी अस्त-व्यस्त हालत से खुद को व्यवस्थित कर लेते थे |

 

3- पायजब/पायल/बिछिया पहनने से हड्डियां होती हैं मजबूत—

पुरानी परंपराओं का निर्वाह करने के साथ ही पायल महिलाओं को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ भी देती है लेकिन ये स्वास्थ्य के ये फायदे तभी मिलते हैं जब पायल सोने या चांदी की हो |

 

जब ये पायल पैरों के संपर्क में आती हैं तो पायल के धातु के तत्व त्वचा से रगड़कर शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और हड्डियों को सोने-चांदी जैसी मजबूती मिलती है.

 

4- शरीर का तापमान होता है संतुलित—

पैरों में सोने की पायल पहनने की मनाही होती है क्योंकि सोने की तासीर गर्म होती है जबकि चांदी की तासीर ठंडी होती है |आयुर्वेद के मुताबिक इंसान का सिर ठंडा और पैर गर्म होना चाहिए इसलिए शरीर के ऊपरी हिस्से में सोना और पैरों में चांदी पहनी जाती है | इससे सिर से उत्पन्न गर्म ऊर्जा पैरों में और पैरों से पैदा हुई ठंडी ऊर्जा सिर में चली जाती है जिससे पूरे शरीर का तापमान संतुलित रहता है |

 

5- नकारात्मकता होती है दूर

हिंदू धर्म की मान्यताओं को अनुसार पायल पहनना काफी शुभ होता है जबकि वास्तुशास्त्र के अनुसार पायल की आवाज से घर की नकारात्मक शक्तियां कम हो जाती है और दैवीय शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं इसलिए घर की नकारात्मकता को दूर भगाने के लिए भी पायल पहनना जरूरी होता है |
============================== ============================== ====================
जानिए बिछिया पहनने के फायदे—

पायल के बाद पांव में एक और आभूषण पहनने का रिवाज़ है, लेकिन यह केवल शादीशुदा स्त्रियां पहन सकती हैं। यह आभूषण है पांव की अंगुलियों में पहनी जाने वाली बिछिया, जो देखने में एक प्रकार की अंगूठी लगती है। यह बिछिया दोनों पांव की अंगुलियों में पहनी जाती है, लेकिन दूसरे नंबर की अंगुली में।ज्यादातर विवाहित महिलाएं पैरो में बीच की 3 उँगलियों में बिछिया पहनती है. यह गहना सिर्फ साज-श्रृंगार की वस्तु लगती है, परन्तु इस पुराने रिवाज के पीछे वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ है |दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोनल सिस्टम सही रूप से कार्य करता है| बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्दति पर कार्य करती है जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं| ऐसा माना जाता है कि बिछिया एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जोकि गर्भाशय में समुचित रक्तसंचार प्रवहित करती है. इस प्रकार बिछिया औरतों की गर्भधारण क्षमता को स्वस्थ रखती है |

बिछिया पहनने से एक विवाहित स्त्री मां लक्ष्मी तथा मां सरस्वती का आशीर्वाद पाती है। यह विवाह की एक परम्परागत रीति है, जिसे हर हिन्दू स्त्री द्वारा पहना जाना आवश्यक है। यह आभूषण उस स्त्री को उसकी विवाहित मर्यादाओं को ज्ञात कराता है।माना जाता है कि एक बिछिया स्त्री के भीतर ऊर्जा को उत्पन्न करती है। पायल की तरह ही चांदी की बिछिया में भी इच्छा शक्ति उजागर करने की शक्ति होती है जो पहनने वाली स्त्री को हर प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से दूर रखती है। ऐसा माना जाता है कि एक बिछिया स्त्री के भीतर ऊर्जा को उत्पन्न करती है। पायल की तरह ही चांदी की बिछिया में भी इच्छा शक्ति उजागर करने की शक्ति होती है जो पहनने वाली स्त्री को हर प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से दूर रखती है।

साइटिक नर्व की एक नस को बिछिया दबाती है जिस वजह से आस-पास की दूसरी नसों में रक्त का प्रवाह तेज होता है और यूटेरस, ब्लैडर व आंतों तक रक्त का प्रवाह ठीक होता है। गर्भाशय तक सही मात्रा में रक्‍त पहुंचता रहता है। यह बिछिया अपने प्रभाव से धीरे-धीरे महिलाओं के तनाव को कम करती है।बिछिया पहनने से महिलाओं को गर्भ धारण में आसानी होती है। चांदी एक गुड कंडक्टर धातु है, अतः यह पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करके शरीर तक पहुंचाती है। तनावग्रस्त जीवनशैली के कारण अधिकांश महिलाओं का मासिक-चक्र अनियमित हो जाता है। ऐसी महिलाओं के लिए बिछिया पहनना अत्यंत लाभदायक होता है।

विज्ञान की माने तो पैरों के अंगूठे की तरफ से दूसरी अंगुली में एक विशेष नस होती है जो गर्भाशय से जुड़ी होती है। यह गर्भाशय को नियंत्रित करती है। रक्तचाप को संतुलित कर इसे स्वस्थ रखती है। बिछिया के दबाव से रक्तचाप नियमित और नियंत्रित रहता है।

इस कारण उनका मासिक-चक्र नियमित हो जाता है। इसका दूसरा फायदा यह है कि बिछिया महिलाओं के प्रजनन अंग को भी स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। बिछिया महिलाओं के गर्भाधान में भी सहायक होती है।बिछिया एक्यूप्रेशर का भी काम करती है। जिससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़िया और पेशियां व्यवस्थित होती हैं।

मछली की आकार की बिछिया सबसे असरदार मानी जाती है. मछली का आकार मतलब बीच में गोलाकार और आगे पीछे कुछ नोकदार सी.
============================== =========================
ये है पैरों में पायल पहनने के फायदे –

पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है.
पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा बढ़ने की गति को रोकता है.
वास्तु के अनुसार पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा को दूर करती है.
चांदी की पायल पैरो से घर्षण करके पैरों की हड्डियाँ मजबूत बनाती हैं.
पैर में पायल पहनने से महिला की इच्छा-शक्ति मजबूत होती है. आपने देखा भी होगा कि औरतें अपने स्वास्थ्य की चिंता किये बिना पूरी लगन से परिवार के भरण-पोषण में जुटी रहती हैं.

पैरों में हमेशा चांदी की पायल पहने. सोने की पायल शारीरिक गर्मी का संतुलन खराब करके रोग उत्पन्न कर सकती हैं.
============================== ============================== =====================
ये है पैरों में पायल पहनने की परंपरा—-

पायजब/पायल/बिछिया पहनने की परंपरा मिस्र की प्राचीन सभ्यता से चली आ रही है. बच्ची के जन्म पर पायल भेंट करने की परंपरा भी बहुत पुरानी है. तीज-त्योहारों के मौके पर पायल पहनना भी इसी प्राचीन परंपरा का अंग है. आज भी शादी के मौके पर लड़की को चाँदी की बेहद वजनदार पायल दी जाती है| हिंदू समाज में एक खास मान्यता यह भी है कि पायजब/पायल/बिछिया सोने की नहीं बनवाई जाती क्योंकि हिंदू संस्कृति में सोने को देवताओं का आभूषण कहा जाता है इसलिए इसे पैरों में पहनना अपशगुन माना जाता है. यही कारण है कि पायल ज्यादातर चाँदी की ही बनवाई जाती है और चाँदी की यह पायल लड़कियों और महिलाओं के पैरों की शोभा बढ़ाती है |

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,335 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress