मैं मैं हूँ मैं ही रहूँगी

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मै नहीं राधा बनूंगी,

मेरी प्रेम कहानी में,

किसी और का पति हो,

रुक्मिनी की आँख की

किरकिरी मैं क्यों बनूंगी

मै नहीं राधा बनूँगी।
मै सीता नहीं बनूँगी,

मै अपनी पवित्रता का,

प्रमाणपत्र नहीं दूँगी

आग पे नहीं चलूंगी

वो क्या मुझे छोड़ देगा

मै ही उसे छोड़ दूँगी,

मै सीता नहीं बनूँगी।
मै न मीरा ही बनूंगी,

किसी मूरत के मोह मे,

घर संसार त्याग कर,

साधुओं के संग फिरूं

एक तारा हाथ लेकर,

छोड़ ज़िम्मेदारियाँ

मैं नहीं मीरा बनूंगी।
यशोधरा मैं नहीं बनूंगी

छोड़कर जो चला गया

कर्तव्य सारे त्यागकर

ख़ुद भगवान बन गया,

ज्ञान कितना ही पा गया,

ऐसे पति के लिये

मै पतिव्रता नहीं बनूंगी

यशोधरा मैं नहीं बनूंगी।
उर्मिला भी नहीं बनूँगी

पत्नी के साथ का

जिसे न अहसास हो

पत्नी की पीड़ा का ज़रा भी

जिसे ना आभास हो

छोड़ वर्षों के लिये

भाई संग जो हो लिया

मैं उसे नहीं वरूंगी

उर्मिला मैं नहीं बनूँगी।
मैं गाँधारी नहीं बनूंगी

नेत्रहीन पति की आँखे बनूंगी

अपनी आँखे मूंदलू

अंधेरों को चूमलू

ऐसा अर्थहीन त्याग

मै नहीं करूंगी

मेरी आँखो से वो देखे

ऐसे प्रयत्न करती रहूँगी

मैं गाँधारी नहीं बनूँगी।
मै उसीके संग जियूंगी,

जिसको मन से वरूँगी,

पर उसकी ज़्यादती

मैं नहीं कभी संहूंगी

कर्तव्य सब निर्वाहुंगी

बलिदान के नाम पर

मैं यातना नहीं संहूँगी

मैं मैं हूँ मै ही रहूँगी।

10 COMMENTS

  1. Have seen almost same or similar probably poem by someone else. It becomes increasingly dificult to know who is the genuine writer/poet on Social Media. I saw it on a wordpress blog of some Ravindra Kumar Karnani. By memory if it is not wrong the link : rkkblog1951.worpress .com ! There should be same punishment for misusing other work with own name!

    • , ये कविता शत प्रतिशत मेरी है वायरल हो चुकी है। इस नाम से मेरा कविता संग्रह बन चुका है। कई लोग इसे अपना कह रहे हैं मै क्या कर सकती हूँ। मेरे घर में हाथ की लिखी हुई फ्रेम तरीके टंगी है।

    • मैं प्रमाणित कर सकती हूँ कि ये कविता मेरी है। हाँ इसको नैट पर जगह जगह लोगों ने इसे अपने नाम से डाला हुआ है ,कहीं अज्ञात लिख दिया है, शिकायत का कोई असर नहीं हुआ है। दो तीन जगह वीडियो यूट्यूब पर हैं, एक जगह कहने से उन्होने मुझे क्रैडिट दिया है। मेरे कविता संग्रह का शीर्षक भी मैं मैं हूँ मै ही रहूँगी है। व्हाट्सऐप पर फ़ेसबुक पर धूमते डेढ़ साल हो चुका है। जो लोग जानते हैं कि ये कविता मेरी है मुझे बताते रहते हैं।

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