नई दिल्ली: उत्तराखंड में आजकल जंगलों में लगी आग से वन संपदा को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। 71 फीसद वन भूभाग वाले राज्य में जंगल सुलग रहे हैं। इससे वन संपदा को तो खासा नुकसान पहुंच ही रहा है, बेजुबान भी जान बचाने को इधर-उधर भटक रहे हैं। यही नहीं, वन्यजीवों के आबादी के नजदीक आने से मानव और इनके बीच संघर्ष तेज होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसे में जंगल की दहलीज पार करते ही उनके शिकार की भी आशंका है।

हालांकि, दावा है कि राज्यभर में गांवों, शहरों से लगी वन सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। साथ ही जंगल में वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी तक के जंगल आग की गिरफ्त में हैं। न सिर्फ संरक्षित क्षेत्र, बल्कि अन्य वन प्रभागों में सभी जगह जंगल सुलग रहे हैं।

फिलहाल हवा की गति ठीकठाक है। यदि यह कम हुई तो धुएं व धूल के कणों से बनी धुंध के कारण स्मॉग जैसी स्थिति बनने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के अनुसार, वर्तमान में धुएं और धूल के कणों से बनी धुंध से दृश्यता कम हो गई है। ऐसे में हेलीकॉप्टर ऑपरेशन में दिक्कत आ सकती है। हवा की गति कम हुई तो स्मॉग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकते।

जंगलों की आग के लिहाज से अगले कुछ दिन बेहद भारी गुजर सकते हैं। मौसम विभाग की ओर से वन विभाग को जारी एडवाइजरी के मुताबिक 25 मई तक मौसम शुष्क रहने के साथ ही पारा अधिक उछाल भरेगा और अपराह्न बाद 20 से 35 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है। ऐसे में जंगलों में आग अधिक भड़क सकती है। इसे देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

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