राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कालेधन के खिलाफ नोटबंदी और आतंकवाद एवं घुसपैठ रोकने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सरकार के निर्णायक फैसलों का उल्लेख करते हुए लोकसभा एवं राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर रचनात्मक चर्चा और धन बल का दुरूपयोग रोकने के लिए सरकारी खर्च पर चुनाव कराए जाने की वकालत की।

उन्होंने आज बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए चुनाव कराने के बारे में अपने विचार सामने रखे। उन्होंने कहा, ‘‘बार बार चुनाव होने से विकास कार्य रूक जाते हैं। सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। इससे सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और लंबी चुनाव ड्यूटी से मानव संसाधन पर बोझ पड़ता है।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘मेरी सरकार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विषय पर रचनात्मक दृष्टि से विचार विमर्श किए जाने का स्वागत करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चुनावों के लिए पैसा उपलब्ध कराए जाने के विषय पर भी चर्चा किया जाना जरूरी है ताकि धन के दुरपयोग को रोका जा सके। मेरी सरकार इस संबंध में चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक पार्टियों से बातचीत करने के लिए किए जाने वाले किसी भी निर्णय का खुले दिल से स्वागत करेगी।’’ संसद के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति के अभिभाषण के समय उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सभी प्रमुख मंत्री, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं एच डी देवगौड़ा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, विभिन्न दलों के नेता और बड़ी संख्या में दोनों सदनों के सदस्य मौजूद थे।

नोटबंदी के फैसले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवादियों के लिए धन उपलब्धता जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए 8 नवंबर 2016 को मेरी सरकार ने 500 रूपये और 1000 रूपये के करेंसी नोटों का विमुद्रीकरण :नोटबंदी: करने का निर्णय लिया।’’ जारी

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