
एक स्थानीय अदालत ने 2002 के एक डकैती के मामले में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण भिवंडी तालुक के 14 ग्रामीणों को बरी कर दिया है।
अलग-अलग गांवों के रहने वाले सभी 14 आरोपियों को बरी करते हुये जिला न्यायाधीश एएस भैसारे ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ दायर मामले को साबित करने में असफल रहे हैं।
अदालत ने बताया कि मामले में कुल 17 आरोपी थे लेकिन सुनवाई के दौरान इन में से तीन की मौत हो गयी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक 29 अप्रैल 2002 को तड़के करीब चार बजे आरोपी वाडा तालुक के कुडुस स्थित कंपनी पहुंचे और सुरक्षा कर्मियों को बंधक बना कर बाथरूम में बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने डकैती की वारदात को अंजाम दिया और 8,000 रूपया नकदी लेकर चंपत हो गये।
पांच अप्रैल को अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा कि शिनाख्त परेड नहीं हुयी। अभियोजन पक्ष के गवाहों ने भी आरोपियों की पहचान नहीं की।
इसमें बताया गया है कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के मुताबिक घटनास्थल पर केवल चार लोग मौजूद थे। हालांकि, मामले में करीब 17 लोगों को आरोपी बनाया गया था। फ्रिंगर प्रिंट विशेषज्ञ को ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जो मामले की ओर इशारा करता हो।
न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि ‘तथ्यों को ध्यान में रखते हुये और मामले, रिकॉर्ड और बहस के कारण की परिस्थितियों के मुताबिक मेरे विचार में अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कथित अपराध साबित करने में असफल रहा है।
( Source – PTI )