पशु बाजार में पशुवध के लिये पशुओं की बिक्री पर केंद्र के प्रतिबंध का विरोध करते हुए केरल के प्रबल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ ने आज विधानसभा में हाथ मिलाया तथा केंद्र के इस कदम को ‘‘फासीवादी’’ कदम करार दिया।
सदन ने आज एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें केंद्र से अधिसूचना वापस लेने की मांग की गयी है।
विधानसभा का एक दिवसीय सत्र विशेष तौर पर पशु प्रतिबंध अधिसूचना पर चर्चा के लिये बुलाया गया था। इस दौरान माकपा नीत सत्तारूढ़ एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्ष यूडीएफ ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह ना केवल राज्य के अधिकारों में ‘‘हस्तक्षेप’’ है बल्कि यह लोगों को उनकी पसंद के भोजन के अधिकार का भी ‘‘अतिक्रमण’’ करता है।
भाजपा के एकमात्र विधायक ओ राजागोपाल ने प्रस्ताव का विरोध किया।
दोनों मोचरें के सदस्यों ने कहा कि पशु बाजार में पशुवध के लिये उनकी बिक्री पर प्रतिबंध ना केवल सांप्रदायिक है बल्कि यह निश्चित तौर पर कामगार वर्ग एवं किसान विरोधी है।
उन्होंने कहा कि इसलिए इसे वापस लिया जाये।
दोनों पक्षों ने यह आरोप भी लगाया कि यह कदम मांस कारोबार क्षेत्र को कापरेरेट जगत के हवाले करने का प्रयास है जो छोटे एवं मध्यम आय वाले किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत था।
यह प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध संघ परिवार का राजनीतिक एजेंडा लागू करने के लिये था।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने किसी वादे को पूरा करने में नाकाम राजग सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिये पशुवध जैसे मुद्दों के जरिये सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर लोगों में फूट डालना चाहती है।’’
( Source – PTI )