![मलेशिया को हराकर भारत ने दस साल बाद जीता एशिया कप](https://www.pravakta.com/news/wp-content/uploads/sites/3/2017/06/hgl-9-300x199.jpg)
भारत ने एशिया कप हाकी चैंपियनशिप में आज यहां मलेशिया की कड़ी चुनौती के बावजूद 2-1 से जीत दर्ज करके दस साल बाद इस महाद्वीपीय प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया और कुल तीसरी बार खिताब अपने नाम किया।
भारत ने इससे पहले 2007 में चेन्नई में एशिया कप जीता था। उसने 2003 में कुआलालम्पुर में पहली बार यह टूर्नामेंट अपने नाम किया था।
भारत पहली बार फाइनल में मलेशिया के खिलाफ फाइनल में खेल रहा था तथा रमनदीप सिंह (तीसरे मिनट) और ललित उपाध्याय (29वें मिनट) के गोल की बदौलत वह तीसरी बार यह खिताब जीतकर चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान की बराबरी करने में सफल रहा। दक्षिण कोरिया ने सर्वाधिक चार बार एशिया कप जीता है।
मलेशिया की टीम ने हालांकि आखिर तक भारत को कड़ी चुनौती दी। उसकी तरफ से एकमात्र गोल शाहरिल सबाह ने 50वें मिनट में किया। विश्व में छठे नंबर की टीम भारत के लिये अंतिम दस मिनट काफी बैचेनी भरे रहे क्योंकि मलेशिया ने इस दौरान लगातार हमले करके भारतीय रक्षापंक्ति को व्यस्त रखा।
भारतीय रक्षकों ने भी हालांकि अच्छा प्रदर्शन किया और मलेशिया के तमाम प्रयासों को नाकाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस तरह से भारत पहली ऐसी टीम बन गयी है जिसने एक समय में एशिया के तीनों महत्वपूर्ण खिताब एशियाई खेलों का स्वर्ण, एशियाई चैंपियन्स ट्राफी और एशिया कप अपने नाम किये हैं। भारत ने 2014 में इंचियोन एशियाई खेलों के फाइनल में पाकिस्तान को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से और पिछले साल कुआंटन में एशियाई चैंपियनशिप ट्राफी के फाइनल में भी अपने इस पड़ोसी को 3-2 से हराया था।
पाकिस्तान ने आज इससे पहले दक्षिण कोरिया को तीसरे स्थान के प्लेआफ मैच में 6-3 से हराकर कांस्य पदक जीता।
भारत के नये कोच मारिन सोर्ड के लिये यह शानदार शुरूआत है। राष्ट्रीय सीनियर पुरूष टीम का जिम्मा संभालने के बाद यह उनका पहला टूर्नामेंट था।
शीर्ष रैंकिंग का भारत इस टूर्नामेंट में अजेय रहा। उसने केवल सुपर चार में एक मैच दक्षिण कोरिया के खिलाफ 1-1 से ड्रा खेला था। इसके अलावा उसने अपने सभी मैच जीते। आज की जीत मलेशिया पर इस टूर्नामेंट में भारत की दूसरी जीत है। उसने सुपर चार चरण में अपने इस प्रतिद्वंद्वी को 6-2 से हराया था।
मलेशिया का यह टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ परिणाम है। उसने इससे पहले 2007 में कांस्य पदक जीता था।
भारत ने शुरू में ही आक्रामक तेवर अपनाये और तीसरे मिनट में ही रमनदीप के गोल से बढ़त बना दी। एसवी सुनील का शाट पोस्ट से टकराने के बाद गेंद रमनदीप के पास पहुंची थी जिन्होंने रिबाउंड पर गोल किया। इसके तुरंत बाद चिंगलेनसना का करीब से जमाया गया शाट बाहर चला गया और इस तरह से भारत ने गोल करने का सुनहरा मौका गंवाया।
मलेशिया ने 13वें मिनट में पहला पेनल्टी कार्नर हासिल किया लेकिन वह इस पर गोल नहीं कर पाया। इसके बाद राजी रहीम ने हरमनप्रीत सिंह के प्रयास को नाकाम किया। इसके एक मिनट बाद मलेशियाई गोलकीपर कुमार सुब्रहमण्यम ने आकाशदीप और अमित रोहिदास को भी गोल करने से रोका।
ललित ने मध्यांतर से ठीक पहले भारत की बढ़त दोगुनी कर दी। उन्होंने सुमित के रिवर्स हिट क्रास पर बड़ी खूबसूरती से गोल किया। तीसरे क्वार्टर में ललित और रमनदीप के पास अच्छे मौके थे लेकिन डी के अंदर से जमाये गये उनके शाट बाहर चले गये।
दो गोल से पिछड़ने के बाद मलेशिया ने चौथे और अंतिम क्वार्टर में तीखे तेवर अपनाये। सबाह ने बेहद करीब से गोल दागकर अपनी टीम को वापसी भी दिलायी। इसके बाद भारतीय रक्षापंक्ति दबाव में आ गयी। मलेशिया को इसके बाद तीसरा पेनल्टी कार्नर भी मिला। उसके पास मैच को शूट आउट में ले जाने का अच्छा मौका था लेकिन भारतीय रक्षापंक्ति ने भी दमदार खेल दिखाया।
आखिरी क्षणों में मलेशिया ने एक अतिरिक्त खिलाड़ी को उतारने के लिये गोलकीपर को भी बाहर भेजा लेकिन उसका यह दांव नहीं चल पाया।
( Source – PTI )