आज देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 141वीं जयंती है। आज के दिन को देशभर में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने भी सरदार पटेल को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर सरदार पटेल पर एक स्मारक टिकट जारी करेंगे और ‘रन फोर यूनिटी’ यानी ‘एकता की दौड़’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस अवसर पर देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा संघर्ष में हुआ। गुजरात का खेड़ा उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस साल करों में राहत दी गई। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिये ही उन्हें पहले बारडोली का सरदार और बाद में केवल ‘सरदार’ कहा जाने लगा।
देश की आज़ादी के बाद सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ पहले गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री बने थे।
सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में मिलाकर भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी।
भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है।
31 अक्टूबर, 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार पटेल के स्मारक का शिलान्यास किया। इसका नाम ‘एकता की मूर्ति’ (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) रखा गया है। यह मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दुगनी ऊंची बनेगी।