
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के तीन माह बाद जीएसटी परिषद ने आज छोटे एवं मझोले उद्यमों को कर के भुगतान और रिटर्न दाखिल करने के मामले में बड़ी राहत दी है। निर्यातकों के लिये नियमों को आसान बनाया गया है तथा कलम, पेंसिल, बिना ब्रांड वाले नमकीन और आयुर्वेदिक दवाओं सहित दो दर्जन से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती की गई है। सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को हर महीने के बजाय अब तिमाही रिटर्न भरनी होगी। डेढ करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाली कंपनियां जीएसटी में पंजीकृत कुल करदाता आधार का 90 प्रतिशत है लेकिन इनसे कुल कर का 5 से 6 प्रतिशत ही प्राप्त होता है।
जीएसटी परिषद ने ‘कंपोजिशन’ योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिये भी कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी। इस योजना के तहत एसएमई को कड़ी औपचारिकताओं से नहीं गुजरना पड़ता है और उन्हें एक से पांच प्रतिशत के दायरे में कर भुगतान की सुविधा दी गई है।
जीएसटी परिषद की आज हुई 22वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जीएसटी में मझोले और छोटे करदाताओं के अनुपालन बोझ को कम किया गया है।’’ छोटी इकाइयों और कारोबारियों की माल एवं सेवा कर :जीएसटी: व्यवस्था में अनुपालन बोझ को लेकर शिकायत थी।
जेटली ने कहा कि परिषद ने आम उपयोग वाले 27 वस्तुओ पर जीएसटी दर में कटौती का भी फैसला किया।
बिना ब्रांड वाले नमकीन, बिना ब्रांड वाले आयुर्वेदिक दवाओं, अमचूर और खाकड़ा पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया हैं वहीं कपड़ा क्षेत्र में उपयोग होने वाले मानव निर्मित धागे पर माल एवं सेवा कर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।
कलम, पेंसिल जैसे स्टेशनरी के सामान, फर्श में लगने वाले पत्थर (मार्बल और ग्रेनाइट को छोड़कर), डीजल इंजन और पंप के कलपुर्जों पर कर की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। ई-कचरे पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले खाने के पैकेट पर जीएसटी 12 प्रतिशत के बजाए अब 5 प्रतिशत लगेगा।
जरी, प्रतिलिपी , खाद्य पदार्थ और प्रिंटिंग सामान पर अब 12 प्रतिशत के बजाए 5 प्रतिशत कर लगेगा।
( Source – PTI )