
उच्चतम न्यायालय के कल के ऐतिहासिक फैसले के बाद दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ : डीडीसीए : अब अपनी विवादास्पद प्राक्सी मतदान प्रणाली को समाप्त करेगा। भारतीय क्रिकेट में ढांचागत सुधारों के लिये न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशों के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने जो फैसला दिया है उसमें एक बिंदु ‘प्राक्सी प्रणाली’ को समाप्त करना भी है। फैसले के पृष्ठ संख्या 24 के सेक्शन 12 :1:4: में साफ लिखा है, ‘‘संघ में किसी तरह का प्राक्सी मतदान नहीं होगा।’’ इससे डीडीसीए को निश्चित तौर पर झटका लगा है जिसके मतदान में प्रमुख अधिकारी बड़ी संख्या में ‘प्राक्सी मत’ रखते हैं जिसका उपयोग वे चुनाव के दौरान करते हैं। प्राक्सी मत होने का मतलब है कि उम्मीद्वार के पास मतदाता के हस्ताक्षर वाला पत्र होना चाहिए और फिर मतदाता को खुद मतदान के लिये उपस्थित होने की जरूरत नहीं है। डीडीसीए हमेशा बहाना बनाता था कि ‘कंपनी अधिनियम’ के अधीन होने के कारण उसे प्राक्सी मतदान का अधिकार है लेकिन यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि पिछले कई वषरें से इसका दुरूपयोग हो रहा था। बीसीसीआई और डीडीसीए के उपाध्यक्ष सी के खन्ना ने कहा कि वे उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘हम रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं लेकिन हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं और इसका पालन करेंगे। ’’ एक व्यक्ति एक पद के फैसले के तहत खन्ना डीडीसीए उपाध्यक्ष का पद छोड़ने के लिये भी तैयार हैं जिसमें वह पिछले 25 वषरें में विभिन्न पदों पर रहे। वह हालांकि बीसीसीआई उपाध्यक्ष के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।
( Source – पीटीआई-भाषा )