मां बाप और औलाद

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धूप में बाप और चूल्हे पर मां,औलाद के लिए है जलती ।
तब कहीं जाकर औलाद मां बाप से है पलती ।।

निकाल देती है औलाद जब मां बाप को घर से बाहर।
यहीं औलाद बुढ़ापे में मां बाप को है खलती।।

औलाद की तरक्की देख कर दुनिया है जलती।
मां बाप की दुआए औलाद को हमेशा है फलती ।।

हजार करे गलतियां औलाद मां बाप उसे माफ है कर देते ।
पर बुढ़ापे मै मां बाप की गलती कभी माफ है न करते।।

इंसान गलतियों का पुतला है ये औलाद नहीं है समझती।
जब खुद करती है औलाद तब वह इसको है समझती।।

औलाद मां बाप के कष्टों को कभी नहीं समझती।
जब औलाद के औलाद होती है तब वह समझती।।

औलाद के लिए मां बाप,जोड़ जोड़ कर है मर जाते।
देखो विडम्बना औलाद उसी को बड़े मज़े से है खाते।।

होती नहीं जब औलाद,बेचारे मां बाप दुआ है करते।
मां बाप के बुढ़ापे पर वे उनकी मरने की दुआ है करते।।

बचपन में मां बाप ही,औलाद के मल मूत्र तक है धोते।
बुढ़ापे में मां बाप के मल मूत्र से औलाद घरणा है करते।।

कहती है औलाद पालन पोषण करना मां बाप का फर्ज है।
बुढ़ापे में औलाद का मां बाप का पोषण करना न फर्ज है।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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