पानी कितना जरूरी! इसकी बचत भी उतनी जरूरी

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चंद्र मोहन 

सावन अभी अभी ख़तम हुआ. कहीं बादल फटा तो कहीं बाढ़. चारों और पानी ही पानी. धरती पर 70 प्रतिशत पानी है तो हमारे शरीर में भी पानी लगभग 70 प्रतिशत है. इतना सारा पानी है, फिर भी उसकी बचत भी बहुत जरूरी है.

बचपन में खेलते हुए कई बार दोहराया है कि… मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है…..

पानी के महत्व को दर्शाता है. 

पानी की बचत करनी चाहिए. पानी तो बंद बोतलों में भी उपलब्ध होने लगा है. 

अभी हाल ही में “रेल नीर ” ने अपने बोतल बंद पानी की कीमत भी कम की है.

“बिन पानी सब सून” एक प्रसिद्ध दोहा है जो कवि रहीम दास द्वारा लिखा गया है, जिसका अर्थ है कि पानी (जल) के बिना सब कुछ व्यर्थ है क्योंकि इसके बिना मोती अपनी चमक खो देते हैं, मनुष्य अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान खो देते हैं और चूना (आटा) भी उपयोगी नहीं रहता. यह दोहा हमें पानी का महत्व समझाता है और जल संरक्षण का संदेश देता है. 

दोहे का पूरा रूप

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥ 

अर्थ विस्तार

पानी का अर्थ: इस दोहे में “पानी” शब्द के तीन अलग-अलग अर्थ हैं: 

मोती के लिए: चमक, आभा, या तेज़. पानी के बिना मोती की चमक चली जाती है. 

मनुष्य के लिए: विनम्रता, मान-सम्मान, या प्रतिष्ठा. मनुष्य में यह विनम्रता या सम्मान के बिना उसका कोई मूल्य नहीं रहता. 

चूना (आटा) के लिए: जल. पानी के बिना आटे को गूंथा या उपयोग नहीं किया जा सकता. 

दोहे का भाव: कवि रहीम दास कहते हैं कि पानी का महत्व समझकर उसे बचाना चाहिए, क्योंकि पानी के बिना ये तीनों चीजें (मोती, मनुष्य, और चूना) अपना मूल्य और अस्तित्व खो देते हैं.

मनुष्य के शरीर में औसतन 50 से 75% तक पानी होता है जो लिंग, उम्र और शरीर की संरचना पर निर्भर करता है, जिसमें औसत वयस्क पुरुष में लगभग 60% और महिला में लगभग 55% पानी होता है. शिशुओं में यह प्रतिशत अधिक होता है और उम्र बढ़ने के साथ कम होता जाता है.

पानी का प्रतिशत उम्र के हिसाब से:

शिशु:

लगभग 75-78% 

एक साल का बच्चा:

लगभग 65% 

वयस्क महिला:

लगभग 55% पानी होता है.

वयस्क पुरुष:

लगभग 60% पानी होता है.

पानी की मात्रा को प्रभावित करने वाले कारक:

उम्र:

उम्र बढ़ने के साथ शरीर में पानी की मात्रा कम होती जाती है.

लिंग:

महिलाओं में पुरुषों की तुलना में शरीर में वसा की मात्रा अधिक होती है, और वसायुक्त ऊतकों में दुबले ऊतकों की तुलना में कम पानी होता है.

शारीरिक गठन:

दुबले शरीर वाले व्यक्तियों में अधिक वसायुक्त व्यक्तियों की तुलना में पानी की मात्रा अधिक होती है.

व्यायाम का स्तर:

एथलीटों और नियमित व्यायाम करने वालों में पानी की मात्रा अधिक हो सकती है.

शरीर में पानी क्यों ज़रूरी है?

यह रक्त, पाचक रस और पसीने का आधार बनता है.

यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है.

यह जैव रासायनिक अभिक्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है.

सभी कोशिकाओं को कार्य करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है.

धरती पर कुल अनुमानित पानी की मात्रा लगभग 1.386 अरब घन किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 97.5% खारा पानी (मुख्य रूप से महासागरों में) और 2.5% मीठा पानी है. इस मीठे पानी का अधिकांश भाग ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों में है, जबकि बहुत कम मात्रा (लगभग 0.3% मीठे पानी का) नदियों, झीलों और भूजल के रूप में उपलब्ध है जो मानव उपयोग के लिए सुलभ है.

पानी का प्रतिशत  ( लगभग ) में वितरण  

महासागर: 

पृथ्वी पर कुल पानी का लगभग 97% खारे पानी के रूप में महासागरों में है.

ग्लेशियर और बर्फ:

 पृथ्वी के मीठे पानी का अधिकांश हिस्सा ग्लेशियरों और बर्फीली चोटियों में जमा है.

भूजल: 

कुछ पानी जमीन के नीचे भूजल के रूप में भी पाया जाता है.

सतही जल: 

नदियाँ, झीलें और अन्य सतही जल के स्रोत कुल पानी का बहुत छोटा हिस्सा हैं.

वायुमंडल: हवा में जलवाष्प के रूप में भी कुछ पानी मौजूद है.

भले ही पृथ्वी पर बहुत अधिक पानी हो लेकिन इसका लगभग 97.5% खारा है. बचा हुआ 2.5% मीठा पानी है, लेकिन इसका भी बड़ा हिस्सा ग्लेशियरों और गहरे भूजल में है, जो आसानी से पहुंच योग्य नहीं है। इसलिए, मानव उपयोग के लिए उपलब्ध मीठे पानी की मात्रा बहुत सीमित है, जो कुल पानी का एक छोटा सा अंश है.

जमीन के नीचे पानी की मात्रा निश्चित नहीं है क्योंकि यह भौगोलिक स्थितियों पर निर्भर करती है; हालांकि, पृथ्वी की पपड़ी के नीचे, विशेष रूप से ऊपरी परत के भीतर, बड़ी मात्रा में पानी मौजूद है. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के भीतर, 1000 किमी की गहराई तक पानी की मौजूदगी पाई है, और पृथ्वी के ऊपरी हिस्से के अंदर लगभग 23.6 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर पानी मौजूद हो सकता है.

जमीन के नीचे पानी की गहराई और उपलब्धता

स्थानीय विविधता:

जमीन के नीचे पानी की गहराई हर जगह एक समान नहीं होती है. नदियों के पास पानी सतह के करीब हो सकता है, जबकि पहाड़ी या रेगिस्तानी इलाकों में यह काफी नीचे जा सकता है.

बोरवेल और भूजल:

कुओं, बोरवेलों और चापानलों के माध्यम से हम जो पानी निकालते हैं, वह भूजल होता है। यह विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के आधार पर 30-40 फीट से लेकर 400 फीट या उससे अधिक गहराई तक मिल सकता है.

एक्वाफेयर:

जमीन के नीचे पानी के जो भंडार होते हैं, उन्हें एक्वाफेयर कहा जाता है.

जलभृत:

पृथ्वी की सतह के नीचे भी पानी मौजूद है, जिसे आप मिट्टी की नमी और भूजल जलभृतों के रूप में देख सकते हैं.

जमीन के नीचे कुल पानी की मात्रा 

वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की पपड़ी में लगभग 43.9 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर पानी मौजूद है, और पृथ्वी की सतह के ठीक नीचे के ऊपरी परत में 23.6 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर से अधिक पानी पाया जाता है.

हालांकि, धरती के बहुत गहरे हिस्सों, जैसे पृथ्वी के आवरण में, कई महासागरों के बराबर पानी हो सकता है.

पानी का महत्व बहुत अधिक है, यह जीवन का आधार है और हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है. पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है, पाचन में मदद करता है, और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. पानी के बिना, जीवन संभव नहीं है

पानी के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

जीवन का आधार:

पानी पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है। 

शरीर के लिए आवश्यक:

मानव शरीर लगभग 60% पानी से बना है, और स्वस्थ रहने के लिए इसकी आवश्यकता होती है.

पोषक तत्वों का परिवहन:

पानी शरीर में पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुंचाता है.

पाचन में सहायक:

पानी पाचन में मदद करता है और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है.

तापमान नियंत्रण:

पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है.

स्वच्छता:

पानी का उपयोग सफाई और स्वच्छता के लिए किया जाता है, जो बीमारियों को फैलने से रोकता है

कृषि:

पानी का उपयोग फसलों और पौधों को उगाने के लिए किया जाता है, जो भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है.

उद्योग:

पानी का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे कि बिजली उत्पादन.

पानी के बिना, मानव जीवन, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, और पूरी पृथ्वी का जीवन असंभव है. इसलिए, हमें पानी को बचाना चाहिए और इसका सही उपयोग करना चाहिए.

नदियों के किनारे की उपजाऊ मिट्टी और पानी की उपलब्धता ने शुरुआती मानव समुदायों को कृषि विकसित करने में मदद की.

नदियों के किनारे खेती के फायदे:

उपजाऊ मिट्टी:

नदियाँ हर साल अपने साथ गाद लाती हैं, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाती है.

पानी की उपलब्धता:

नदियों से सिंचाई के लिए पानी आसानी से उपलब्ध होता है.

परिवहन:

नदियाँ परिवहन का एक साधन भी प्रदान करती थीं, जिससे फसलों और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान करना आसान हो जाता था.

उदाहरण:

मिस्र:

नील नदी के किनारे मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ, जहाँ नील नदी की उपजाऊ मिट्टी और पानी ने कृषि को संभव बनाया.

मेसोपोटामिया:

दजला और फरात नदियों के बीच स्थित मेसोपोटामिया में भी कृषि का विकास हुआ.

भारत:

सिंधु घाटी सभ्यता भी सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई.

चीन:

पीली नदी के किनारे चीन में भी कृषि का विकास हुआ.

इन सभी उदाहरणों में, नदियों ने कृषि के विकास और मानव बस्तियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

खेती-बाड़ी में पानी का बहुत महत्व है. यह फसलों की वृद्धि, विकास और उपज के लिए एक आवश्यक तत्व है। पानी के बिना, फसलें ठीक से विकसित नहीं हो पातीं और पैदावार कम हो जाती है, या फसल पूरी तरह से नष्ट भी हो सकती है.

पानी, पौधों के लिए न केवल जीवन का स्रोत है, बल्कि यह मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित करने, पौधों के तापमान को नियंत्रित करने और उन्हें संरचनात्मक सहायता प्रदान करने में भी मदद करता है.

पानी के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

फसल वृद्धि और विकास:

पानी पौधों को बढ़ने और फलने-फूलने के लिए आवश्यक है। यह प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके द्वारा पौधे सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं.

पोषक तत्वों का अवशोषण:

पानी पौधों को मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है.

तापमान नियंत्रण:

पानी पौधों के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे वे अत्यधिक गर्मी या ठंड से बच पाते हैं.

संरचनात्मक सहायता:

पानी पौधों को संरचनात्मक सहायता प्रदान करता है, जिससे वे सीधे खड़े रह पाते हैं। 

सिंचाई:

पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, जो फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराने का एक महत्वपूर्ण तरीका है.

पशुधन:

पानी का उपयोग पशुधन के लिए भी किया जाता है, जो कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

खाद्य सुरक्षा:

पानी की उपलब्धता और प्रबंधन सीधे तौर पर फसलों की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, जो खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.

जलवायु परिवर्तन:

जलवायु परिवर्तन के कारण, पानी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

इसलिए, पानी का संरक्षण और इसका सही उपयोग करना बहुत ज़रूरी है.

चंद्र मोहन 

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