‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ बना वैकल्पिक वेबसाइटों का सिरमौर

मुख्‍यधारा के मीडिया के ताम-झाम (पेड न्‍यूज, भूत-प्रेत, पेज थ्री, गांव-गरीब-किसान उपेक्षित) तथा दबाव एवं प्रभाव से मुक्‍त होकर अपने सीमित संसाधनों के बूते  ‘न्‍यू मीडिया’ के माध्‍यम से हिंदी की कुछ वैकल्पिक वेबसाइट्स अच्‍छा काम कर रही है और अच्‍छी बात यह है कि इन सभी वेबसाइट्स में प्रवक्‍ता डॉट कॉम ने आप सबका अटूट विश्‍वास प्राप्‍त कर कम ही समय में श्रेष्‍ठ स्‍थान प्राप्‍त कर लिया है। 

‘प्रवक्‍ता’ को हर महीने तेरह लाख अट्ठावन हजार सात सौ हिट्स मिल रही है और इस साइट से 400 से अधिक लेखक जुड़ चुके हैं। 

प्रवक्‍ता डॉट कॉम की इस ऊंची उड़ान के लिए मैं इसके प्रबंधक श्री भारत भूषण, सुविज्ञ लेखकगण एवं सुधी पाठकगण के प्रति आभार प्रकट करता हूं। आशा है कि हमें आगे भी इसी तरह आपका स्‍नेह प्राप्‍त होता रहेगा। 

आपका,

संजीव सिन्‍हा

संपादक प्रवक्‍ता 

हम यहां https://www.alexa.com औरhttp://www.hypestate.com  के आधार पर हिंदी वेब मीडिया के प्रमुख वैकल्पिक वेबसाइटों की सूची प्रस्‍तुत कर रहे हैं :  

क्रमांक

वेबसाइट

संपादक

डोमेन आयु

डेली विजिट

डेली पेजव्‍यू

एलेक्‍सा रैंकिंग

1.

प्रवक्‍ता

संजीव सिन्‍हा

2 वर्ष 10 महीना 1 दिन

4,397

45,290

82,603

2.

रविवार

आलोक पुतुल

4 वर्ष 8 महीना 10 दिन

4,476

37,599

85,674

3.

मोहल्‍लालाइव

अविनाश दास

2 वर्ष 3 महीना 27 दिन

4,213

16,009

110,703

4.

विस्‍फोट

संजय तिवारी

4 वर्ष 3 महीना 7 दिन

3,081

7,393

168,046

5.

जनोक्ति

जयराम विप्‍लव

2 वर्ष 16 दिन

1,474

8,405

270,117

6.

हस्‍तक्षेप

अमलेन्‍दु उपाध्‍याय

1 वर्ष 7 दिन

922

9,584

370,907

7.

नेटवर्क6

आवेश तिवारी

1 वर्ष 4 महीना 29 दिन

448

761

1,067,044


41 COMMENTS

  1. तपस्या कठिन है. यात्रा के अनेक सोपान आप और आपकी सुयोग्य टीम चढ चुकी, पर संघर्ष व तपस्या की यात्रा अभी बहुत शेष है. शतषः हार्दिक शु कामनायें.

  2. गुरु जी लगे रहो .. हमें भी कभी कभी याद कर लिया करो .. ?

    सुशील गंगवार
    मीडिया दलाल.कॉम

  3. प्रवक्ता संपादक, प्रवक्ता टीम और प्रवक्ता के सभी सम्मानित लेखको को बधाई.

  4. प्रिय मित्र संजीव जी
    बहुत बहुत बढाई आपको और आपके पूरे परिवार को
    वाकई इस वेब साईट ने बहुत बड़ा काम किया है
    ऐसे ही आगे बढ़ते रहिये
    विभाष

  5. बात केवल संख्या के आधार पर मूल्यांकन की नहीं है. एक जनोक्ति के इलावा अधिकाँश ई.पत्रिकाओं द्वारा भारत की मुख्य राष्ट्रीय धरा को बल नहीं मिल रहा, उलटे भारत की जड़ें खोदासने का काम करने वाली मीडिया जुन्दाली हर स्थान पर सक्रीय नज़र आती है जिसे विदेशी धन व साधनों की कोई कमी नहीं. प्रवक्ता की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि यहाँ राष्ट्रीय मुद्दों को विदेशी नहीं, भारतीय दृष्टि से भी देखने समझने के इमानदार (प्रायोजित नहीं) प्रयास होते हैं. देश की मिटटी से जुड़े होने के कारण विदेशी धन भी इसे उपलब्ध नहीं. फिर भी प्रवक्ता जिन उंचाईयों को छू रहा है, उसके कारण आंकड़ों में नज़र आने वाले मूल्यांकन से इसका स्थान कहीं अधिक उंचा है.
    # अनेक ऊँचे, श्रेष्ठ देशभक्त विचारक व लेखक इससे
    जुड़ने व इनकी टीम के अथक प्रयासों को इसका श्रेय निस्संदेह है. विकट परिस्थितियों भी अविचलित होकर डेट रहने के लिए इस टीम का अभिनन्दन.#
    भावी भारत के निर्माण में पत्रिकाओं की भूमिका बहुत महत्व की होनी है, इसे वे सब जानते-समझते हैं जो स्वतन्त्रता पूर्व के संघर्ष के इतिहास से परिचित हैं.

  6. प्रवक्ता को बधाई | मुझे दो साईट बहुत पसंद है और प्रभावी पाठ्य सामग्री मिलती है : जनोक्ति और प्रवक्ता | कभी-कभी तो लगता है कि दोनों एक ही आदमी चलते हैं | राष्ट्रवादी विचारों के इन पोर्टल्स ने वामपंथियों को टक्कर दी है |

  7. चेतावनी।
    संजीव जी, कुछ अनुभव के आधार पर कहता हूं। (१)अब प्रवक्ता को खरिदने की कोशिश होगी। लेखकों को “एन जी ओ” संस्थाएं और पता नहीं “कौन” पर खरिदते ज़रूर है।
    (२) इसके पहले आपको फीलर भेजा जाता है, जो सीधी बात ना करके देखना चाहेगा, कि आपका साईट बिकाऊ है, या नहीं?कभी, कोई परिचित व्यक्ति भी होता है।
    (३) शायद ऐसा पहले ही हो चुका होगा।
    (४) आपको किसी पार्क में भी मिलने कहेगा, टेपिन्ग नहीं हो रहा है, इसकी कसौटी भी कर लेते हैं।
    फिरसे आपकी टिम की सेवा के लिए सभीको अभिनंदन।

  8. मैंने अपनी प्रतिक्रिया ईमेल द्वारा सम्पादकजी को भेज दी थी वही यहाँ दोहरा रहा हूँ

    “माननीय सम्पादकजी
    प्रवक्ता.कोम की इस विशिष्ट उपलब्धि पर आपको तथा आपके सभी सहयोगिओं को बधाई. पिछले कुछ थोड़े से समय में ही प्रवक्ता ने श्रेष्ठ स्तर प्राप्त कर लिया है और हम पाठकों को कुछ अति उत्तम लेख पढने का अवसर मिल रहा है. आशा है पत्रिका दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करती रहेगी
    शुभेच्छु
    सत्यार्थी “

  9. इस उपलब्धि के लिए आपको और आपके समूह को बधाई एवं शुभकामनायें ! यात्रा जारी रहे !!

  10. भाईसाहब नमस्‍कार, इस सफलता पर आपको बहुत-बहुत बधाई हो। निश्चित रूप से प्रवक्‍ता पर प्रकाशित सामग्री पाठकों का तो भला कर रही रही है, साथ ही इंटरनेट पर हिंदी में उपलब्‍ध विचार-कोश को भी समृद्ध कर रही है। इस सफलता के लिए आपने कड़ी मेहनत की है, जो हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। मैं आप सहित पूरे प्रवक्‍ता परिवार की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करता हूं।

    ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,
    नीरज कुमार दूबे

  11. माननीय सम्पादकजी
    प्रवक्ता.कोम की इस विशिष्ट उपलब्धि आपको तथा आपके सभी सहयोगिओं को बधाई. पिछले कुछ थोड़े से समय में ही प्रवक्ता ने श्रेष्ठ स्तर प्राप्त कर लिया है और हम पाठकों को कुछ अति उत्तम लेख पढने का अवसर मिल रहा है. आशा है पत्रिका दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करती रहेगी
    शुभेच्छु
    सत्यार्थी

  12. प्रि‍य भाई संजीव जी

    प्रवक्‍ता की सफलता में आप के साथ आपकी पूरी प्रवक्‍ता टीम का योगदान है जि‍सके लि‍ए आप सभी बधाई के पात्र हैं। आपने अन्‍य वि‍धाओं के साथ साहि‍त्‍य और कला संस्‍क़ति‍ के लि‍ए उपयुक्‍त स्‍थान देकर हम सभी का सम्‍मान कि‍या है जि‍सके लि‍ए हम लेखक प्रवक्‍ता के आभारी हैं। प्रवक्‍ता और भी आगे बढे और लोकप्रि‍य हों यही कामना है।

    आपका

    एस आर हरनोट
    शि‍मला हि‍माचल

  13. श्री संजीव के तेत्रत्व में प्रवक्ता टीम को बधाई और आगे की तीव्र प्रगति शुभकामनाएँ!

    यदि ऐसे ही गति और प्रगति जारी रही तो भ्रष्ट और पथभ्रष प्रिंट तथा इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए प्रवक्ता चुनौती पेश कर सकेगा!

    लेखक और पाठक आपकी इस उपलब्धि में बराबर के हिस्सेदार हैं, लेकिन असली दबाव तो संपादक को ही झेलने पड़ते हैं!
    श्री संजीव सिन्हा जी इस कार्य को कुछेक मामलों और अवसरों को छोड़कर बेहतर अंजाम दे रहे हैं! फिर से बधाई!

    शुभाकांक्षी
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

  14. संपादक का उत्तरदायित्व कठिन होता है। आपने कुशलता से इस उत्तरदायित्व का निर्वाह किया है, यह पारदर्शी सत्त्य है।
    फिर अनेक मत मतांतरों को और विचारधाराओं के लेखकों को उचित स्थान और मान देते हुए, प्रवक्ता को इस शिखरपर पहुंचाया है, यह स्वयं स्पष्ट है।ऐसी सहिष्णुता ही, सनातन भारतीय परम्परा है। । सम्पादक के काम में केवल कठिनता की ही नहीं, कुशलता की भी अपेक्षा होती है। ऐसे ही यश के शिखर लांघते रहे।
    तीन वर्ष से भी अल्प कालमें प्राप्त यह यश आपके खुले और नैतिक व्यवहार का भी निदर्शक है।
    इसी भांति आगे बढते रहें।
    हृदय तलसे सारे सहयोगियों का भी अभिनन्दन।

  15. यूँ तो प्रवक्ता कि कामयाबी का श्रेय पुरी टीम को जाता है और पुरी टीम को बधाई देता हूँ. हाँ संजीव जी को मै इस बात के लिए विशेष रुप से बधाई देना चाहुँगा के यह सब उनके कुशल नेतृत्व का हि परिणाम है के उन्होँ ने ना केवल टीम का ताल मेल बनाए रखा बल्कि लेखक और पाठक को जुडे रहना का माहौल भी कायम रखा. हमारी दुआ है प्रवक्ता कामयाबी कि उच्च शिखर को प्राप्त करेँ.
    आपका
    अब्दुल रशीद
    सिंगरौली मध्य प्रदेश

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