‘जय श्री राम’ को ‘जेएसआर’ बनाने वाली मानसिकता

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मोदी के बहाने हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले नेताओं की
संजय सक्सेना
हिन्दुस्तान में ऐसे लोगों की लम्बी-चैड़ी फौज है जिनका समाज और देशहित से कोई लेना-देना नहीं है।इसमें कुछ कद्दावर नेताओं,टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्यों से लेकर कथित बुद्धिजीवियों का एक वर्ग भी शामिल है जो हर समय, हर मसले पर मौके-बेमौके अपनी राजनीति चमकाने के लिए निकल पड़ता है। चाहें कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाने की बात हो या फिर पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की, इनको सबूत चाहिए होता है। देश में या सीमा पर किसी आतंकवादी को मारा जाता है तो इन्हें मानवाधिकारों की रक्षा की चिंता होने लगती है। परंतु देश पर कोई संकट या प्राकृतिक आपदा आती है तो यह लोग देश का साथ देने की बजाए अपने एसी कमरों में कैद हो जाते हैं।
विरोध के लिए विरोध वाली विकृत मानसिकता के यह लोग सरकार के हर फैसले और बयान में खोट निकाल ही लेते हैं। हद तो तब हो जाती है जब हिन्दुस्तान में ‘जय श्री राम’ का नाम भर जुबान पर आने से कुछ नेताओं का धर्म भ्रष्ट हो जाता है। उन्हें जब कभी मीडिया में यहां अन्य कहीं चर्चा या भाषण के दौरान अपने वोटरों या शुभचिंतकों यह बताना-समझाना पड़ता है कि जय श्री राम के नाम पर किस तरह से उन लोगों पर अत्याचार हो रहा है तो वह अपने श्रीमुख से जय श्री राम की जगह ‘जेएसआर’ बोलते हैं। जे फाॅर जय, एस फाॅर श्री, और आर फाॅर राम। ऐसी मानसिकता वाले ही मोदी, बीजेपी, आरएसएस और हर उस शख्स को गाली देते हैं जो अन्य धर्मो के साथ-साथ हिन्दुओं की भावनाओं और धर्म की भी कद्र करते हैं। जिनकी नजर में अल्लाह को न मानने वाला काफिर होता है।
इस गैंग की नजर पीएम मोदी के खिलाफ हमेशा टेड़ी रहती हैं। इसकी बानगी एक बार फिर तब देखने को मिली जब प्रधानमंत्री मोदी भगवान श्रीकृृष्ण की नगरी मथुरा में दो दिवसीय राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम का उदघाटन करने पहुंचे। इस मौके पर अपने संबोधन में पीएम ने मोदी ने पशुधन बचाने के लिए कई जरूरी कदम उठाने सहित सिंगल यूज प्लास्टिक,आतंकवाद,स्वच्छता अभियान सहित तमाम बिन्दुओं पर चर्चा की। मोदी ने विस्तार से बताया कि कैसे सिंगल यूज प्लास्टिक गौमाता सहित अनेकों जानवरों के जीवन को नष्ट कर देती है। उन्होंने कहा तमाम नदियां, तालाबों में रहने वाले प्राणियों का प्लास्टिक को निगलने के बाद जिन्दा बचना मुश्किल हो जाता है। इस दौरान पीएम मोदी कूड़ा छांटने वाली महिलाओं से मिले और उसके साथ काम में हाथ भी बंटाया।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा-पशुधन को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। सरकार के 100 दिनों में जो बड़े फैसले लिए गए,उनमें से एक पशुओं के टीकाकरण से जुड़ा है। इस अभियान को विस्तार देते हुए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसी नई एप्रोच का परिणाम है कि 5 साल के दौरान दूध उत्पादन में करीब 7 फीसदी की वृद्धि हुई है। किसानों, पशुपालकों की आय में करीब 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
मोदी ने इसी तरह की और भी तमाम सकरात्मक बातें कि लेकिन मीडिया और विरोधियों ने मोदी के भाषण के दौरान दिए गए उस बयान पर ज्यादा रूचि दिखाई जिसमें उन्होंने कहा था,‘ ‘ओम’ शब्द सुनते ही कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। कुछ लोगों के कान में ‘गाय’ शब्द पड़ता है तो उनके ‘बाल’ खड़े हो जाते हैं। उनको करंट लग जाता है। उनको लगता है कि देश 16वीं-17वीं सदी में चला गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले है।
मोदी के बयान पर हमेशा की तरह ओवैसी आग बबूला हो गए। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि जब तबरेज, पहलु खान या अखलाक मारे जा रहे हैं तो उन्हें यह सोचकर चिंतित होना चाहिए कि मेरे देश में क्या चल रहा है। मगर ओवैसी के पास इस बात का जबाव नहीं है कि राष्ट्रीय पशु रोग सम्मेलन में मोदी गाय की बात नहीं करते तो क्या बोलते। ओवैसी ही वह नेता हैं जो जय श्री राम का शब्द अपनी जुबान पर नहीं लाते हैं। इसकी बजाए वह ‘जेएसआर’ कहकर अपनी बात रखते हैं। ओवैसी से कोई नहीं पूछता है कि जय श्री राम को शार्टकट करके जेएसआर बोलने का हक उन्हें किसने दिया।वह कैसे करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर सकते हैं। अगर ओवैसी पाकिस्तान या अन्य किसी मुस्लिम देश में अपने किसी पैगम्बर के बारे में इस तरह की भाषा बोलते तो उन्हें ईश निंदा के जुर्म में जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया जाता। अगर ओवैसी का ‘धर्म’ ऐसी बातें सिखाता है तो इस पर खेद ही व्यक्त किया जा सकता है।
खैर, उधर विपक्ष को भी लगता है कि मोदी जी यूपी में 13 विधान सभा सीटों पर होने वाले उप-चुनाव के लिए सिक्रिप्ट तैयार कर रहे हैं। विपक्ष की सोच बेवजह भी नहीं है। आम चुनाव के बाद पहला ऐसा मौका था जब मोदी ने विकास से हटकर गाय और ओम शब्द की बात की। मोदी भी जानते हैं कि इस तरह के शब्द सुनते ही विपक्ष को करंट लग जाता है। उसे लगने लगता है कि मोदी हिन्दुत्व का एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं। मोदी के इसी एजेंडे की आग में झुलस कर विपक्ष कई चुनाव हार चुका है। इसी लिए विपक्ष का डरना और सहम जाना लाजिमी है।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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