नोट उगलती तिजोरियां और मरते किसान

रवीन्द्र जैन

मध्‍यप्रदेश में किसान पुत्र की सरकार में यह क्या हो रहा है? कर्ज से लदे किसान आत्महत्या कर रहे हैं और नेताओं अफसरों और उनके रिश्तेदारों की तिजोरियां नोट और सोना उगल रहीं हैं। राम के आदर्श और पं. दीनदयाल उपाध्याय के संदेश को लेकर सत्ता में आई भाजपा के शासनकाल में भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर हो चुकी हैं। मप्र में आयकर विभाग के ताजे छापों से संकेत मिल रहा है कि संवैधानिक पद पर बैंठे व्यक् ति और इंदौर की अति ईमानदार सांसद की छत्रछाया में पले नेता भी कंबल ओढ़कर घी पीने में पीछे नहीं है। भ्रष्टाचार की इस गगौत्री में अफसर भी जमकर डूबकी लगा रहे हैं।

गुरूवार को तड़के पहली खबर जबलपुर से आई जहां एक साथ कई स्थानों पर आयकर के छापे पड़े हैं। जिनके यहां छापे पड़े वे कौन हैं और पिछले छह साल में किस नेता के संरक्षण में फले फूले हैं, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। मप्र विधानसभा के स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने स्वीकार किया है कि उनके पुत्र अशोक रोहाणी वर्ष 2008 में शुभम मोटर्स में पार्टनर थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण तीन महिने बाद ही यह पार्टनरशिप टूट गई। रोहाणी संवैधानिक पद हैं और उनकी बात पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन इस बात पर किसी को यकीन नहीं है कि बिना राजनीतिक संरक्षण के जबलपुर में दवाईयों के यह व्यापारी रातों रात तीन सौ करोड़ से अधिक की सम्पत्ति के मालिक कैसे बन गए? आयकर विभाग के अधिकारी इशारों इशारों में संकेत कर रहे हैं कि इन छापों में उन्हें जो दस्तावेज मिले हैं वे आने वाले दिनों में किसी बड़े राजनेता के चेहरे से नकाब उठा दे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

जबलुपर में इससे पहले तत्कालीन स्वास्थ मंत्री अजय विनोई के भाई के घर पड़े छापे के बाद उनका मंत्री पद छीन लिया गया था। मजेदार बात यह है कि आयकर विभाग ने विश्नोई के बारे में सप्रमाण लिखा है कि यह मंत्री कमीशनखोर है फिर भी विश्रोई शिवराज केबिनेट में बने हुए हैं। आयकर विभाग पिछले दो दिन से इंदौर में भाजपा नेता चंदू माखीजा का घर खंगालने में लगा है। इंदौर सांसद के अति करीबी माखीजा का एक परिचय यह भी है कि वे प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की निवृत्तमान अध्यक्ष अंजू माखीजा के पति हैं। भाजपा के सात साल के कार्यकाल में चंदू माखीजा की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने आयकर विभाग के सामने डेढ़ करोड़ सरेन्डर करने का प्रस्ताव भी रखा है। लेकिन फिलहाल आयकर विभाग उनके घर से कई बौरे भरकर कागजात ले गया है। गुरूवार को ही लोकायुक्त ने दो सरकारी इंजीनियरों के घरों में छापा मारकर करोड़ों की अनुपातहीन सम्पत्ति का पता लगाया है।

मप्र का यह एक चेहरा है। लेकिन दूसरा चेहरा भोलभाले गरीब किसानों का भी है जिसकी सेवा का संदेश पं. दीनदयाल उपाध्याय ने दिया था और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाषणों में भी इनके कल्याण की बात सुनाई देती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रदेश के किसान कर्ज से लदे हुए हैं और पाले से खराब हुई फसल को देखकर उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। लगभग रोज दो चार किसान जहर पीकर अथवा फांसी लगाकर आत्महत्या कर रहे हैं। नोट गिनने की मशीनों से चिपके नेताओं को इन किसानों के अंासू पोंछने की फुर्सत नहीं है। आखिर यह कब तक चलेगा? किसान पुत्र मुख्यमंत्री शिव भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना तीसरा नेत्र कब खोलेंगे? क्या मप्र में भ्रष्टाचार मिटाने की बात केवल भाषणों में होगी?

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