हिंदुओं को क्यों देना चाहिए नरेंद्र मोदी का साथ ?

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श्रीनिवास आर्य

हिन्दुओं! अगर तुम्हारी रगों में जरा सा भी सनातनी खून भरा हुआ पड़ा है ना तो कम से कम कुछ और सालों के लिए सब कुछ भूलकर इनका साथ ना छोड़ना। वो भी एक समय था जब हिन्दू मंदिर का उदघाटन करने को भारत के बहुत पढ़े लिखे प्रधानमंत्री ने मना कर दिया था क्योंकि उससे एक शांतिप्रिय समुदाय नाराज हो जाता उनका वोटबैंक नाराज हो जाता।

आज यह बूढ़ा व्यक्ति ! पूरी दुनिया के सामने किसी से छुपा कर नही! 56 इंची सीना ठोककर नंगे पैर, गेरुआ वस्त्र पहने सारे प्रोटोकॉल को धता बताकर कमर से नीचे तक के पानी मे माँ गंगा में उतर जाता है और डुबकी लगाता है। उस ठण्डे पानी मे करीब दस मिनट तक रहता है और सनातन विधि विधान से पूजा अर्चना करता है! सूर्य नमस्कार करता है।

अरे तुमको चाहिए क्या? ख्वाहिशों का कोई अंत नही और कोई सरकार तुम्हारी ख्वाहिश पूरी नही कर सकती। रोटी कपड़ा और मकान! यह बहुत जरूरी है जीने के लिए। रोटी और मकान यह सरकार दे ही रही है कपड़े और बाकी चीज़ों के लिए थोड़ी सी मेहनत कर लो पर बाकी के किसी झाँसे में आकर , अपनी बाकी की महत्वकांक्षाओं को त्याग कर इनका साथ दो ! ज्यादा नही बस 20 साल और ।

तुम लोगों को जैसा लगता है वैसा है नही! देश मे क्या चल रहा है उसका जीता जाता उदाहरण तुमने रावत साहब की मौत पर देख लिया होगा। हँसने वाले कुछ थे लेकिन वैसी भावनाएं रखने वालें करोड़ो हैं करोड़ो। जिंदा रहोगे तब तो कुछ चाहिए होगा ना तुम्हे! जाकर पूछो अफगानिस्तान के सिखों से! उनको सीधा-सीधा बोल दिया गया है या तो देश छोड़ दो या शांतिप्रिय समुदाय में बदल जाओ।

लोग कहते हैं बीजेपी डराती है। हिन्दू मुस्लिम में बांटती है। अरे यार आंख से अंधे हो क्या? तुम्हें इनकी नियत नही दिखती? यक इनका इतिहास नही दिखता? जो इस देश मे रहकर सेना के शहीद हो जाने पर हँसता हो! अमर जवान पर लात मारता हो! चिकेन नेक को हथिया कर भारत के टुकड़े करने का विचार रखता हो! उनसे तुम अमन चैन, भाईचारे की उम्मीद रखते हो? अरे जब तक यह कम हैं तब तक यह भाईचारे और सेक्यूलरिज्म की पीपनी बजा लो। और बधाई हो हिंदुओं ,भारत के 9 राज्यों में तुम अल्पसंख्यक हो गए हो लेकिन ऑफिसियली अल्पसंख्यक का तमगा वो लेकर बैठे हैं। तो कहने को बहुत कुछ है! थोड़ा अपनी आँखें खोलो! और इनका साथ दो! अपनी सारी व्यक्तिगत बातें बहुत पीछे छोड़कर! इन बूढ़े हाथों का साथ दो, इन बूढ़े पैरों का सहारा बनो! क्योंकि यह तुम्हारे अस्तित्व को बचाये रखने! पूरे विश्व में तुम्हारे लिए बचे आखिरी जमीन के टुकड़े की लड़ाई है

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