एक वर्ष के निम्न स्तर पर पहुंचा चालू खाते का घाटा
नई दिल्ली,। देश का चालू खाता घाटा में मौजूदा वित्त वर्ष 2015 की चौथी तिमाही में तेज गिरावट आई है । वित्त वर्ष 2015 की चौथी तिमाही में करेंट अकाउंट घाटा 1.3 अरब डॉलर रहा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में ये 8.3 अरब डॉलर थी ।करेंट अकाउंट घाटे में ये गिरावट खासतौर पर व्यापार घाटे में कमी की वजह से आई है । हालांकि अगर 2013-14 की अंतिम तिमाही के आंकड़ों से इसकी तुलना करें तो इसमें थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है । 2013-14 की चौथी तिमाही में करेंट अकाउंट घाटा का आंकड़ा 1.2 अरब डॉलर था ।एक साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा चालू खाते का घाटा देश का चालू खाता घाटा यानी करेंट अकाउंट घाटे में मौजूदा वित्त वर्ष 2015 की चौथी तिमाही में तेज गिरावट आई है।हालांकि पूरे वित्त वर्ष 2015 की बात की जाए तो करेंट अकाउंट घाटा में अच्छी कमी आई है। इस अवधि में करेंट अकाउंट घाटा रहा 27.5 अरब डॉलर जो जीडीपी के 1.3 प्रतिशत के बराबर है। इसके पहले वाले वित्त वर्ष में करेंट अकाउंट घाटा 32.4 अरब डॉलर के साथ जीडीपी के 1.7 प्रतिशत के बराबर था।चालू खाते का घाटा तब पैदा होता है जब किसी देश की वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर का आयात वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर के निर्यात से ज्यादा हो जाता है। जब भारत में बनी चीजों और सेवाओं का बाहर निर्यात होता है तो जाहिर हैं कि इससे भुगतान हासिल होता है। दूसरी ओर, जब कोई चीज आयात की जाती है चाहे वह कोई वस्तु या सेवा हो तो उसकी कीमत चुकानी पड़ती है ।