पति पत्नि की नोक झोंक पर हास्य व्यंग रचना

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मै सीधी सादी गैया हूं,
तुम मरखने सांड प्रिय।
मै किसी बगिया की कोयल हूं,
तुम किसी दरबार के भांड प्रिय।।

मै सुबह सुबह उठती हूं,
तुम सोने मे कुंभकर्ण प्रिय।
जब हलक में जाती है चाय,
तब तुम उठते हो प्राण प्रिय।।

मै सारे दिन व्यस्त रहती हूं,
तुम गोबर के हो चौथ प्रिय।
एक जगह बैठे रहते हो तुम,
टस से मस होते नही प्राण प्रिय।।

मै बुलेट ट्रेन जापान की हूं,
तुम मिचकू खां के ठेले प्रिय।
मै बैगलोरी सिल्क साड़ी हूं,
तुम फटे कुर्ते गाढ़े के प्रिय।।

मैं बैंक लॉकर की बड़ी चाबी हूं,
तुम ड्रावर के छोटे से ताले प्रिय।
मै बड़े बैंक की चीफ मैनेजर हूं,
तुम तो छोटे से हो चपरासी प्रिय।।

मै मोबाईल को टच नही करती,
तुम मोबाईल में घुसे रहते हो प्रिय।
मै किसी मर्द से बात नही करती,
तुम औरतों से बाते करते हो प्रिय।।

मै सोलह साल की लगती हूं,
तुम साठ साल के लगते प्रिय।
फिर भी साथ निभाती हूं मै,
कोई सौतन न लाना प्राण प्रिय।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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