पितृ पक्ष में पितर तृप्ति
का होता सुंदर काम है ।
विश्व पटल पर सबसे पावन
पूज्य गया जी धाम है ॥
अद्भुत नगरी , प्यारी नगरी
विष्णु जी की दुलारी नगरी
मंगला गौरी , अक्षयवट और
विष्णुपद की पौरी – पौरी
पिंड – पिंड में यहां लिखा
पितरों का ही नाम है ।
विश्व पटल पर सबसे पावन
पूज्य गया जी धाम है ॥
कर्मकांड का शुभारंभ
फल्गु के जल से होता है
फल्गु जी में बालू निर्मित
पिंड का अर्पण होता है ।
सीताजी ने पिंड दिया था
दशरथ जी के हाथ में
राम – लखन दोनों बंधु
नहीं थे उस वक्त साथ में
पौराणिक आख्यानों में
फल्गु जी का व्याख्यान है
चौवन पिंड वेदियों पर
अलग-अलग विधान है ।
विश्व पटल पर सबसे पावन
पूज्य गया जी धाम है ॥
प्रेतयोनि से मुक्ति
प्रेतशिला में मिलती है ।
सभी वेदियों में यह
सबसे ऊँची वेदी है।
बोधगया महाबोधि मंदिर ,
शांति का दरबार है
धर्मारण्य, मातंगवापि
और बहुत से नाम है।
रामशिला में पिंड दिया वो
लक्ष्मण, प्रभु श्रीराम हैं ।
विश्व पटल पर सबसे पावन
पूज्य गया जी धाम है ॥
दयानन्द तिवारी ‘शांडिल्य ‘
हिंदी शिक्षक