अमेरिका को भारतीय प्रतिभाओं से बहुत फायदा हुआ है.’-एलन मस्क

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     ‘ हे अग्नि! हमारी जीवन यात्रा उत्तम चले उसके लिए उत्तम ज्ञान से युक्त, समस्त आयुपर्यंत पूजने योग्य तथा हमारे सुख के लिए कारणीभूत होने वाली उत्तम संपत्ति दो.’-[ऋग्वेद: १,७९,९] ये श्लोक इतना समझने के लिए काफी है कि हमारे जीवन दर्शन में समृधि को सदैव सम्मान दिया गया है. पर आज जिन्हें देश समृद्ध और धनवान  के रूप में जानता है  ऐसे महिंद्रा कोटक; अम्बानी; प्रेमजी अजीम ; टाटा और उनके जैसे अन्य व्यापारिक घरानों को  सम्पूर्ण धनाड्य-वर्ग से चिढ़ रखने वाले एक राजनैतिक-वर्ग की आलोचनाओं का सामना करते रहना पड़ा है. इसके ठीक विपरीत दुनिया का रुख किस ओर है  ये देखना हो तो ट्विटर पर सीईओ के पद पर हाल ही में आसीन पराग अग्रवाल की  इस उपलब्धि पर दुनिया के दिग्गजों की प्रतिक्रिया क्या है ये जरूर देख लेना चाहिए: ‘गूगल, माइक्रोसॉफ्ट,एडोब, आईबीऍम, पालो आल्टो नेटवर्क्स और ट्वीटर इन सबकी कमान भारत में पले बढ़े सीईओ के हाथों में है. टेक्नोलॉजी की दुनिया में भारतीयों की शानदार सफलता को देखना बेहतरीन है.’ स्ट्राइप के सीईओ पैट्रिक कोलिजन के इस ट्वीट पर इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के संस्थापक एलन मास्क नें रीट्वीट किया-‘ अमेरिका को भारतीय प्रतिभाओं से बहुत फायदा हुआ है.’
                 भारतीय प्रतिभा को पहचान कर उसकी प्रशंसा करने वाले आज दुनिया भर में मौजूद हैं, और उन सब के नाम गिनाना संभव नहीं. लेकिन दुनिया से हटकर  भारत में स्थिति भिन्न है. और कितनी ये एक उदहारण से समझी जा सकती है. पाली सिलिकॉन एक ख़ास किस्म का प्लास्टिक है जिससे निर्मित सोलर सेल्स, सोलर पेनल्स , सोलर मोडयूल्स इत्यादि सब देश में बाहर से आयातित होते हैं. इसके कारण सोलर उपकरण चीन के मुकाबले 40 % तक महगें हो जाते हैं. अब ये अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ है जिसने 75,000 हजार करोड़ का निवेश करते हुए निश्चित किया है कि अपने गुजरात के जामनगर में  5000 एकड़ में स्थापित होने वाले धीरुभाई अम्बानी ग्रीन एनर्जी गीगा काम्प्लेक्स में कच्चे माल ( पाली सिलिकॉन प्लास्टिक)  से लेकर तैयार माल (सोलर सेल्स, सोलर पेनल्स , सोलर मोडयूल्स इत्यादि) सब कुछ निर्मित होगा. ये इतना बड़ा कदम है कि जिसके लिए देश को रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का स्वागत  करना  चाहिए. लेकिन स्थिति ये है कि अभी लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है.
           चीन की चुनौती बहुत बड़ी है, जिससे निपटने के लिए इन बड़े व्यापारिक घराने की भूमिका बड़ी महत्त्व की है. युगांडा में चीन के  बनाये अकेले अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट पर अब उसका ही कब्ज़ा हो जाने के बाद श्रीलंका को चेताते हुए वहां के पूर्व सैन्य  कमांडर सरथ फोनसेका नें कहा है कि देश के भ्रष्ट राजनेताओं नें ऊँची व्याज दरों पर कर्जा लेते हुए  देश को  चीनी  कर्ज में डुबो दिया है. कोलोम्बो हार्बर को विकसित करने के स्थान पर कम महत्व के हमबनटोटा हार्बर को चीनी मदद से बनवाने के फेरे में उसे  देश की समुद्री सीमा के अंदर ही घुसा लिया है. इस एक घटना से  नरेंद्र मोदी के द्वारा चलाई गयी ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना की बहुउद्देशीय महत्त्व  को समझा जा सकता है.
       आज  दुनिया की टॉप १० आईटी सर्विस फर्म्स  में भारत की चार कंपनीयां शामिल है, जिनका नाम है टीसीएस , इनफ़ोसिस , एचसीएल और विप्रो. कभी रक्षा के उच्च  टेक्नोलॉजी वाले क्षेत्र  की जब बात  आती थी तो देश के बाहर ही नज़र दौड़ती थी. पर अब स्थिति बदल चुकी है.  तेजस विमान हों, चाहे  स्वदेशी पिनाका मल्टी बैरल राकेट लांचर  का निर्माण  ये सब अब देश के अन्दर ही  पूर्ण करने की हमने क्षमता प्राप्त कर ली है. भारत अर्थ मूवर लिमिटेड[बीईऍमएल] के साथ हिंदुस्तान लार्सन टुब्रो, टाटा एयरोस्पेस एंड डिफेन्स जैसे निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां  इस काम को अंजाम देने में जुटे हैं
          भविष्य में अपनी बढ़ती जरूरत को देखते हुए पेट्रोल-डीज़ल के विकल्प पर तेजी दीखाने की आवश्यकता की अनदेखी नहीं का जा सकती.  इलेक्ट्रिक-व्हीकल के लिए आवश्यक लिथियम-आयन बेट्री के ८१% पार्ट्स स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हैं. सरकार नें अब बेट्री निर्माण में वैश्विक स्तर को पाने की लिए कमर कस ली है. खबर है कि एडवांस केमिस्ट्री सेल के देश के अन्दर ही  निर्माण हेतु प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के अंतर्गत लगभग २० देसी-विदेशी कंपनियों नें रुचि दिखाई है.साथ ही देश के सूदूर क्षेत्रों में भी बेट्री की आपूर्ति का आभाव महसूस न हो, उसके लिए हीरो-इलेक्ट्रिक  नें पटना सहित पूरे पूर्वी व उत्तर-पूर्वी हिस्सों मे लाजिस्टिक सेंटर के निर्माण में गति देने की योजना बनायी है. और, आगे बढ़कर बात ये है कि बेट्री- चार्जिंग सेंटर स्थापित करने में हिंदुजा ग्रुप की गल्फ आयल लुब्रिकेंट्स नें निवेश करने की तैयारी पूर्ण कर ली है.  तथा-कथित समाजवाद-वामपंथ  के कारण  निर्मित वातावरण के चलते उधमी और व्यवसाइयों को जनता के बीच जो सम्मान मिलना था, वो इससे वंचित ही रहे. मानों बिना योग्यता,कौशल,परिश्रम और व्यवसाय में निहित खतरों को उठाये  इन्होंनें धन-सम्पति अपने वश में कर ली हो.

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