कांग्रेस के गले की फांस बना ललित प्रकरण

lalitसुरेश हिन्दुस्थानी
कहावत है कि किसी मामले में जब गढ़े मुर्दे उखाडऩे का खेल शुरू हो जाता है, तब कुछ ऐसी बातें भी उजागर हो जाती हैं, जिनकी किसी को उम्मीद तक नहीं होती है। ललित मोदी प्रकरण में भारतीय जनता पार्टी को घेरने वाली कांग्रेस आज भी इस बात को लेकर सशंकित है, कि जब बात दूर तक जाएगी, तब कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस ही लपेटे में आ जाये। फिलहाल तो कुछ ऐसा ही लग रहा है। क्योंकि कांग्रेस मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाकर अब आसपास के मुद्दों को उभारने में लग गई है। सभी इस बात को जानते हैं कि ललित मोदी किसके जमाने की उपज हैं। और उन्होंने जो अपराध किया है, वह किसकी छत्रछाया में किया.
कांग्रेस ने ललित मोदी के मामले में फिलहाल तो बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसा कृत्य किया है, इसे शेर की सवारी करने जैसा भी कहा जा सकता है। लेकिन कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि आज की स्थिति में वह शेर से उतर चुकी है, उसका हर दांव केवल सफलता की उम्मीद ही पैदा कर सकता है। कांग्रेस की मानसिकता में आज भी ऐसे बयानों की भरमार रहती है, जैसे कि ये सताधारी पार्टी के बयान हों। इस बात से ऐसा लगता है कि कांग्रेस आज भी इस सत्य को स्वीकार करने का साहस नहीं कर पा रही है कि वह सत्ता से बहुत दूर जा चुकी है। कृपा के सहारे विपक्ष का पद हासिल करने वाली कांग्रेस आज भी अपने आपको सुधारने का विचार मंथन करने की मुद्रा में दिखाई नहीं देती। इससे यह भी प्रमाणित होता है कि सत्ता प्राप्ति के लिए जिस मार्ग पर कांग्रेस को चलना चाहिए, कांग्रेस उस मार्ग से पूरी तरह से भटकती हुई दिखाई दे रही है। दूसरों पर आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को खुद के गिरेबान में भी झाँककर देख लेना चाहिए। शक्तिहीन के आरोपों में कभी किसी प्रकार का दम नहीं होता। वर्तमान यह कहना तर्कसंगत ही होगा कि कांग्रेस आज लोकतान्त्रिक दृष्टि से पूरी तरह से शक्तिहीन है।
ललित मोदी मामले में कांग्रेस द्वारा उठाई गई आवाज को फिजूल का बखेड़ा निरूपित किया जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कही जाएगी, क्योंकि वैसे तो यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर इस प्रकार का उत्पात मचाया जाये, लेकिन अगर कांग्रेस ने मुद्दा बना ही दिया है तो इसके छुपे साक्ष्यों का भी अध्ययन करना समीचीन होगा। ललित मोदी प्रकरण वास्तव में कांग्रेस नीत सरकार की देन है। ऐसे में सवाल यह भी आता है कि कांग्रेस ने अपनी सरकार के समय चार साल तक ललित मोदी को गिरफ्तार करने से छूट क्यों दी। क्या कांग्रेस का यह कदम ललित मोदी के प्रति सहानुभूति नहीं है। ललित मोदी के मामले में वर्तमान सरकार पर हमला बोलने वाली कांग्रेस राजीव शुक्ला ने नाम पर चुप क्यों है। आईपीएल के हवाला मामले की बात की जाये तो हो सकता है कि राजीव शुक्ला बहुत बड़े अपराधी दिखाई दें। इस मामले में ऐसा ही जान पड़ता है कि इसकी जांच होने पर कांग्रेस ऐसे कठघरे में खड़ी नजर आएगी, जिसकी कांग्रेस ने भी कल्पना नहीं की होगी। इसी प्रकार शशि थरूर तो आज भी कांग्रेस के नेता हैं, कांग्रेस इनकी जांच की मांग क्यों नहीं करती, जबकि यह बात सामने आ चुकी है कि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर ने अपनी मौत से पूर्व आईपीएल के मामले में कुछ खुलासे करना चाह रही थी। कांग्रेस को इस मामले में जांच की मांग करना चाहिए? यहाँ पर सवाल यह भी है कि  ललित मोदी ने जो हवाला का पैसा जमा किया वह किसके शासन काल में जमा किया, उस समय सरकार कांग्रेस की ही थी।
जहां तक राजनीति की बात है तो कांग्रेस ने सदैव ही ऐसे मामलों में गंदी राजनीति ही खेली है, ऐसे कई मामलों में कांग्रेस ने दोषियों को क्लीन चिट देकर आरोपों से बरी किया है। भाजपा ने कम से कम ललित मोदी को को बरी तो नहीं किया। भाजपा ने यह भी नहीं कहा कि ललित मोदी साफ सुधरी छवि वाले व्यक्ति हैं, भाजपा ने केवल यह किया है कि ललित मोदी की पत्नी बीमार है, उसका आपरेशन होना है, ललित की पत्नी अपने पति की उपस्थिति में अपना आपरेशन कराना चाह रही थी। नरेंद्र मोदी की सरकार ने केवल अनुमति ही दी है, उसके अन्य मामले में कुछ भी नहीं कहा। ऐसे में यह तो कतई नहीं कहा जा सकता कि नरेंद्र मोदी की सरकार या विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ललित मोदी को बचाने का कार्य कर रहीं हैं। कहते हैं कि जाकी रही भावना जैसी….. बीमार पत्नी के आपरेशन के लिए जाने की अनुमति को कांग्रेस ने यह कैसे समझ लिया कि भाजपा ललित मोदी को बचाने का प्रयास कर रही है। जबकि इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है।
वास्तव में ऐसा केवल इसलिए हो रहा है, क्योंकि कांग्रेस को वर्तमान में कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है। ऐसे में कांग्रेस को जो भी तिनका मिलता है, उसी के सहारे वह राजनीति करने लगती है। आज के समय में कांग्रेस को ऐसे तिनके की तलास है, जिसके सहारे वह राजनीति कर सके। इस प्रकार की राजनीति को फिजूल की राजनीति कहा जाये तो ज्यादा तर्क संगत कहा जाएगा। कांग्रेस के बारे में यह कहा जाये तो ज्यादा ठीक ही होगा कि बिना सत्ता के कांग्रेस जल बिन मछली के समान है। कांग्रेस आज सत्ता की सुविधा प्राप्त करने के लिए तड़प रही है। आज नरेंद्र मोदी सरकार ने कांग्रेस को ऐसा कोई अवसर ही नहीं दिया कि कांग्रेस विरोध कर सके। नरेंद्र मोदी ने यह करके दिखाया है कि भ्रष्टाचार मुक्त शासन कैसे चलाया जाता है। इसके विपरीत कांग्रेसनीत सरकार के कई नेता आज भी भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं।
ललित मोदी का प्रकरण वर्तमान में कांग्रेस की गले की हड्डी बनता जा रहा है। जब बात निकली है तो दूर तक जाएगी, और बात दूर तक गई तो कांग्रेस भी इस बात को जानती है कि हम भी फँसते हुए नजर आएंगे। क्योंकि भ्रष्टाचार क्या होता है, और भ्रष्टाचार कैसे किया जाता है, इस बात को कांग्रेस से कोई नहीं जान सकता। वर्तमान में कांग्रेस की सबसा बड़ी दुविधा यही है कि नरेंद्र मोदी की सरकार कोई भ्रष्टाचार क्यों नहीं कर रही। इसके पीछे एक ही अच्छी बात है कि नरेंद्र मोदी ने नेताओं के रिशतेदारों की घुसपैठ को पूरी तरह से रोका है, जबकि कांग्रेस में नेताओं के रिश्तेदार ही प्रशासन के सारे काम करते और कराते थे।

1 COMMENT

  1. लेखक का विश्लेषण अच्छा है लेकिन वे राजीव शुक्ल जी का नाम भूल गए । राजीव शुक्ल शुरू से ही कांग्रेस के मंत्री रहे हैं । सक्रिय राजनीति में रहे हैं और क्रिकेट के भारी भरकम पदाधिकारी रहे हैं – उन की ललित मोदी के साथ गहरी छनती रही है । ललित मोदी ने अपने खुलासे में उन का नाम भी लिया है । उन के बारे में मीडिया ने भी चुप्पी साध रखी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress