लगे ना ग्रहण मेरे चाँद को,उसे दिल में छिपा लिया

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लगे ना ग्रहण मेरे चाँद को,उसे दिल में मैंने छिपा लिया
पड़े ना बुरी निगाह राहू-केतू की,उसे नयनों में समां लिया

आयेगा जब बुरा वक्त मेरे चाँद पर,लडूंगी आखरी वक्त तक
उसने मुझे दिल में समा लिया,मैंने उसे दिल में समां लिया

कहते है लोग मेरे चाँद पे काले धब्बे दिखाई देते है अनेक
ये तो मेरे लबो के निशाँ है,लोगो ने ये धब्बा बना लिया 

झुलसता है जब मेरा चाँद,सूरज की तेज सीधी किरणों से
लो बीच में मै अब आ गई हूँ,उसे झुलसने से बचा लिया

कर दो मेरे चाँद को वापिस,बहुत दिनों तक दूर रख लिया
अब और न सताओ मुझे,लोगो ने पहले काफी सता लिया

भले ही मेरा चाँद मुझसे दूर है,मै तो उसके बहुत करीब हूँ
पहुँच गई हूँ उसके बहुत करीब मै,मैंने उसे अब  पा लिया

लगे ना ग्रहण किसी के चाँद को,फिर चाँदनी कहाँ जायेगी ?
हर चाँदनी को चाँद मिले, रस्तोगी ने यह प्रण कर लिया

आर के रस्तोगी 

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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