फेला होबे’ की नहीं चली गुगली, ‘खेला होबे’ डबल सैंचुरी पार…

सुशील कुमार ‘नवीन’

भाजपा के लिए बंगाल फतेह स्वप्न ही रहा। वो ‘फैला होबे, फैला होबे’ कहते रह गए, उधर दीदी ‘खेला होबे’ बोलती-बोलती हैट्रिक बना गई। हालांकि नन्दीग्राम से दीदी की हार जरूर जख्म पर मरहम है पर मलहम जरा तीखा है। जो दर्द कम करने की जगह बढ़ाएगा ही।

बंगाल चुनाव में इस बार कई बड़े मुद्दे लगातार चर्चा में रहे। इन्हीं मुद्दों पर पूरा चुनाव फोकस रहा। ये किसी के लिए पॉजिटिव थे तो किसी के लिए नेगेटिव होकर भी पॉजिटिव। ‘ जय श्री राम’ का नारा ही लीजिए। चुनाव में इसे प्रमुख मुद्दा बनाने में भाजपा ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कामयाबी नहीं मिली। हालांकि जय श्री राम के उद्घोष से ममता दीदी आग बबूला होती कई बार जरूर दिखी।

दूसरी तरफ देखें तो बंगाल की राजनीति में मुस्लिम वोटों का बहुत बड़ा रोल रहता है। इस बार भी इसे अपनी ओर करने का प्रयास कइयों ने किया। भाजपा को तो ये वोट मिलने की संभावना वैसे ही कम थी। अब्बास सिद्दीकी द्वारा ममता बनर्जी का साथ छोड़कर इंडियन सेक्युलर फ्रंट बनाना और ओवैसी का बंगाल की सियासत में कदम रखना इसे और महत्वपूर्ण बना गया था। कहना गलत नहीं होगा कि इससे ममता बनर्जी की टेंशन जरूर बढ़ी। पर ममता पर इसका कोई खास असर परिणाम में नहीं दिख पाया। चुनाव में किसान भी इस बार बड़ा मुद्दा रहे हैं। ममता खुलकर तीनों कानूनों का विरोध करती रहीं हैं। भाजपा अपने तर्कों से कृषि कानूनों के फायदे गिनाकर भी इसे ममता विरोधी बनाने में कामयाब नहीं हो पाई।

बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा बंगाल में बरसों पुराना रहा है। इस मुद्दे पर भाजपा हमेशा साफ रही। उनके अनुसार सत्ता में आते ही इन्हें सहन नहीं किया जाएगा। रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई की चर्चा भी खूब चली। नागरिकता संशोधन कानून का भी ममता शुरू से ही विरोध करती रहीं। ममता को यहां भी फायदा ही हुआ। भाजपा ने ममता सरकार को तोलाबाजों की सरकार तक करार दिया था। प्रधानमंत्री समेत सभी भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को पूरा हवा देने का प्रयास किया। ममता बनर्जी ने चुनाव में बंगाली वर्सिज बाहरी को खूब भुनाया। ममता साफ तौर पर भाजपा को बाहरी करार देती रही।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में खूब नारे चले। सबमें ‘खेला होबे ज्यादा चर्चा में रहा। इस नारे से ममता जहां भाजपा को चिढ़ाती रही, वहीं भाजपा ने ‘अबकी टीएमसी के फेला होबे’ का इस्तेमाल कर इसे और चर्चित किया। कुल मिलाकर भाजपा इस चुनाव में जिन ऑलराउंडरी मुद्दों से ममता को शिकस्त देने का दम्भ भर रही थी। सबकी ममता ने हवा निकालकर रख दी। ‘पोरिबोर्तोन’ तो जरूर हुआ, 2016 में 3 सीट वाली भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी बनने में जरूर कामयाब हो गई। जो आने वाले समय मे बंगाल में भाजपा को और मजबूती प्रदान करने का काम करेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,770 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress