मातृ दिवस पर मां को समर्पित कुछ पंक्तियां

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जब जब इस धरा पर मैं आऊं,
मां तेरी गोदी का स्पर्श मै पाऊं।
चुका न सकता मां के ऋण को,
चाहे सौ सौ जन्म लेकर मैं आऊं।

मां के चरणों में मै सदा शीश झुकाऊं,
कभी भी उससे मै अलग न हो पाऊं।
कटे शीश अगर कभी भी मेरा,
उसे अपनी भारत मां को मै चढ़ाऊं।।

मातृ दिवस मै रोज रोज मनाऊं,
जब कभी रूठे जाए उसे मनाऊं।
एक दिन मनाने से होता है क्या ,
साल के 365 दिन उसे मै मनाऊं।।

मां के सीने से जब चिपट कर सोता,
अपने आप को सुंदर सपनो में खोता।
जब जब तेरे हाथो का स्पर्श मुझे होय,
सारे दुःख दर्द भूलने का आभास होता।।

मेरा नसीब लिखने का हक मां का होता,
तो आज मेरे नसीब में कोई गम ना होता।
मां तेरे दूध का हक,मुझसे अदा ना होगा,
तू है नाराज तो खुश मुझसे कौन होता।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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