भारत ने निभाया कर्तव्य

अनिल अनूप 
पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से आये धार्मिक अल्पसंख्यकों अर्थात गैर मुस्लिमों को भारत में नागरिकता देने के प्रावधान को लेकर विधेयक संसद में पारित हो गया है। इस विधेयक के विरोध में उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में विरोध हो रहा है और बंद के कारण स्थिति भी तनावपूर्ण है। लेकिन सत्य यह है कि उपरोक्त विधेयक उत्तरपूर्वी राज्यों के लिए नहीं बल्कि सारे देश के लिए है और उन लोगों के वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए है जो भारत के पड़ोसी मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यक है और हमेशा भेदभाव का सामना करते आ रहे हैं तथा तनावपूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। उपरोक्त देशों के अल्पसंख्यकों के पास केवल भारत ही एक विकल्प है और वह हमेशा भारत की ओर ही आशा भरी आंखों से देखते हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बोलते हुए कहा भी है कि असम की जनता की परम्पराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। सिंह ने संसद की संयुक्त समिति द्वारा यथाप्रतिवेदित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर सदन में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उनके जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया। यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म को मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजराने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिश हो रही है। सिंह ने जोर दिया कि पाकिस्तान में राष्ट्र एवं समुदाय के स्तर पर अल्पसंख्यकों के साथ सुनियोजित तरीके से भेदभाव किया जाता है। ऐसे में इन लोगों के पास भारत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का जिक्र करते हुए कहा कि इसे उचित ढंग से लागू किया जा रहा है। इसके तहत शिकायत करने का प्रावधान किया गया है। हम प्रक्रिया पूरी करने को प्रतिबद्ध है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
कटु सत्य यही है कि पड़ोसी मुस्लिम देशों में हिन्दू और सिख तथा ईसाई परिवारों का धर्मांतरण तथा उनकी बहु-बेटियों के अपहरण या बलात्कार के समाचार आये दिन मिलते हैं। उपरोक्त देशों में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति को देखते हुए ही भारत सरकार ने अपनी नैतिक जिम्मेवारी समझते हुए नागरिकता संबंधी विधेयक में बदलाव लाया है। यह ठीक दिशा में उठा एक बड़ा कदम है। इस कदम के राजनीतिक लाभ-हानि को देखते हुए कांग्रेस व कुछ अन्य दलों ने जो विरोध किया है वह उचित नहीं है। आजादी लेकर आज तक वहां के अल्पसंख्यक भारत सरकार से आशा लगाए बैठे है। आज वह राहत की सांस ले सकेंगे। भारत ने अपना कत्र्तव्य निभाया है, इसके लिए मोदी सरकार बधाई की पात्र है।

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