नोयडा के इंजीनियरिंग कालेज और अहमदाबाद में पाकिस्तान के साथ हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप में जय श्री राम के नारों ने ऐसा क्या असर डाला है कि ग़दर मचा हुआ है ।
अभिवादन से उपजी ये गुत्थी सुलझाने के लिये मैं जरा सी तफरीह के लिये निकला तो अचानक शेरजंग साहब मिल गए। वैसे तो मैं उन्हें हाय -हैलो ही कहा करता था लेकिन जेहन में राम की बात घूम रही थी तो मुँह से अचानक निकला –
“जय श्री राम “।
वो मुझे डपटते हुए बोले- “गाली देता है हमको तुम”।
मैं हैरान रह गया।पूछ ही बैठा- “भाई,राम-राम कहना गाली कब से हो गया”?
वह बिगड़ते हुए बोले –
“देखो, वो सब हमको नहीं मालूम, हम पार्टी लाइन के हिसाब से चलेगा,अभी इस वर्ड पर मेरी पार्टी का यही स्टैंड है। तो हम भी ऐसे ही रियेक्ट करेगा और प्रोटेस्ट भी करेगा”।
मैंने उन्हें याद दिलाया-
“लेकिन आपकी पार्टी तो कहती है कि हम बापू के अनुयायी हैं फिर बापू तो दिन -रात राम- राम ही करते थे।उनके अंतिम वाक्य भी हे राम ही थे।फिर राम से आपको एलर्जी क्यों है”? उन्होंने सिगरेट का कश लगाया फिर धीरे से बोले- “देखो बापू बहुत महान आदमी थे और सेक्युलर भी थे लेकिन तुम लोगों ने उनके राम को हाईजैक कर लिया।अभी बापू से तुम लोगों का क्या लेना देना? तुम लोग रंगीन कपड़ा पहनने वाले गुंडे हो।हम लोग बापू का बात मानता है ।हम अहिंसावादी है “।
मुझे हँसी आ गयी। उनके मुंह से अहिंसा की बात ऐसी लगी जैसे सनी लियोनी भरे -पूरे वस्त्रों की वकालत करें।
फिर भी पूछ ही लिया- “ये अहिंसा के प्रयोग से ही बंगाल के चुनावों में इतने बन्दे मारे जाते हैं ।अगर आप अहिंसावादी हैं तो लोग मारे क्यों गए”? उन्होंने मुझे फिर डपटा-
“तुम झूठा है,जो लोग मरे हैं वो लोग हिंसा में नहीं मरे हैं।उनको मरने के लिए तुम्हारे लोगों ने पैसे दिए थे ।वो लोग निक्कमा था ,इसलिये पैसे के लिये मर गया होगा “।
मुझे उनकी गैरत पर हैरत हुई और बदजुबानी पर उज्र।उनका सिगरेट खत्म हो चुका था ।उन्होंने हाथ के इशारे से मुझसे तम्बाकू मांगा जो मैंने उन्हें रगड़कर बना कर दे दिया।
वह तम्बाकू खाते हुए वो बोले- “देखो,जैसे किसान कभी कभी कर्जे में डूब जाता है। उसका फसल खराब हो जाता है तो वह अपने परिवार को बचाने के लिये खुदकुशी कर लेता है।उसी तरह ये लोग भी कुछ ऐसा ही किया होगा और तुम लोग इसको ऐसा करने के लिये पैसा भी दिया होगा और उकसाया भी होगा तभी ऐसा हुआ होगा।”
मुझे उनकी बात अब बहुत अजीब लगी ,सो पूछ ही लिया- “तो आप ये मानते हैं कि पैसा लेकर जान दी जा सकती है।तो फिर आपकी जान की कीमत क्या है? आपकी पार्टी के हित में तो आप ऐसा कर सकते हैं क्या”?
उन्होंने फिर मुझे डपटा – “तुम बेवकूफ आदमी है,हिंसावादी आदमी है,मारने-मरने की बात करता है ।तुमको बोला ना कि हम अपने ऊपर हिंसा नहीं कर सकता,अपने को मार नहीं सकता “।
“लेकिन दूसरे को मार सकते हैं ” इस जवाब देते मेरी मुस्कान कुटिल हो चली थी।
इस बात पर वह हत्थे से उखड़ते हुए बोले- “तुम गुंडा पार्टी का फासीवादी लोग है ।गांधी जी को जो मारा उसकी आइडियोलॉजी से जुड़ा है “।
मैं कुछ जवाब देता तब तक वाम सोच के समर्थक हरीराम जी आ गए।उन्होंने मुझे लाल सलाम कहा।मैंने उनको जै राम जी की किया और शेरजंग जी से उनका परिचय कराया ।
मैंने उनसे राम -राम करने के बाद जब उनकी कुशल क्षेम पूछी तो वह हत्थे से उखड़ते हुये बोले- “पहली बात अब मेरा नाम हरी राम जी नहीं ,एचआर जी है। हमको पार्टी का काम करने ऐसी जगह जाना है,जहां तुम्हारी पार्टी का लोग अगर हरीराम नाम से हमको पुकारा तो दूसरी पार्टी का लोग हमको तुम्हारी पार्टी का समझ लेगा और हमारा हाथ -पैर तोड़ देगा। ये तुम लोगों का चाल है,हमको लड़वाकर मार देगा। तुम लोग ग्रेट डिवाइडर पार्टी का आदमी । देखो हम और शेरजंग जी का पार्टी आपस में कितना मार -पीट किया ,फिर भी भाई- भाई की तरह अब तक रह रहे हैं। अभी तुम हमको आपस में दुश्मन बनवा दिया। अब ये लोग मार खाता है तो हम हँसता है।हम मार खाता है तो ये लोग हँसता है ।ये है ग्रेट डिवाइडर की फिलॉसफी । अब हमारा नेता जी भी ये सब से उकता गया है ।देखा पहले वो रामायण और महाभारत को हिंसा का किताब बताया और अब साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ने के लिए वो अपने नाम को सीताराम नहीं बोलेगा बल्कि एस आर बोलेगा”।
इनके तर्क से मैं सन्न रह गया।
सोचा इनसे पूरी बात पहले पूछ तो लूं- “और आपकी दूसरी बात क्या है”?
वो कुछ सोचते हुए बोले – “और तुम हमको कभी जै राम जी तो कभी जय श्री राम कहकर जान बूझ कर चिढ़ाता है। तुम जानता है कि हमारी पार्टी कन्हैया की जय करने को सोचता है।अभी तुम देखो हमारी पार्टी का नेता सीताराम कन्हैया यानी कृष्ण को जिताने का कोशिश किया।लेकिन तुम साम्प्रदायिक लोग न तो सीताराम को और न ही कृष्ण को आगे बढ़ाने नहीं दिया”।
मैंने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा-
“आप चिंता ना करें ,अब मैं आपसे जै श्री कृष्णा कहा करूँगा”।
वह तुनकते हुए बोले – “तो तुम जै श्री कृष्ण बोलकर हमको गुजरात का याद दिलायेगा।तुम जानता है कि हम गुजरात मॉडल को सपोर्ट नहीं करता।तुम कैपिटलिस्ट अम्बानी,अडानी,,,,”।
उनकी बात काटते हुए शेरजंग जी ने पूछा – “तुम क्यों मचमच करता है,अभी किधर जाने का है तुमको “?
हरीराम जी ने बताया- “काम से,वर्ल्ड पीस पर चिंतन करने को “।
शेरजंग जी ने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा – “”सुनो,उधर कुछ जुगाड़ है क्या” ये कहते हुए उन्होंने अपनी बांईं आँख मारी।
हरीराम जी ने मायूसी से कहा- “आप तो जानता ही है कि ये सरकार हमारा सब जुगाड़ छीन लिया है धीरे-धीरे।अब आसानी से कुछ नहीं मिलता और अगर कहीं से कुछ मिलता भी है तो ये उसे लेने नहीं देते ।जहाँ पर हम अभी जा रहे हैं वहाँ हम पहले हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देंगे। उसके बाद डफली बजायेंगे-गाना गाएंगे जावेद अख्तर के लिखे हुए औऱ स्वरा भास्कर पर शूट किए हुए।फिर हल्का-फुल्का नाश्ता।उसके बाद बीड़ी पी जाएगी ।ये सरकार बीड़ी पर जीएसटी लगाकर उसको भी महंगा कर दिया।हम इसका भी विरोध करेंगे ।सस्ती बीड़ी पीना हमारा अधिकार है “।
शेरजंग जी ने मुस्कराते हुए कहा – “अभी हम भी हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देगा हमारे लोगों के साथ में।उसका प्रेस ब्रीफिंग भी जारी करेगा ।ये हत्या में जो मरा है।उनके लिये विरोधी पार्टी का लोग बन्द ऑर्गेनाइज़ किया था।उनके बन्द को प्रोटेस्ट करने के लिये हम भी बंद ऑर्गेनाइज करेगा।ये सब के लिये बहुत डिस्कशन करना है ।अभी तुम ये सब विचार विमर्श के टाइम चुपचाप बैठना।उसके बाद कबाब और व्हिस्की चलेगा। जितना मर्जी उतना चलेगा। क्यों चलेगा तुम भी हमारे साथ” ?
हरीराम जी के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी।
शेरजंग जी ने मुझे देखा ,और पूछा- “तुम भी चलेगा क्या,कबाब अच्छा वाला रहेगा। डरो मत गड़बड़ वाला नहीं और व्हिस्की तो एक दम से एरिस्टोक्रेट,अभी किधर जाता है तुम “?
मैंने उनसे हाथ जोड़कर कहा- “जी मैं शराब नहीं पीता ,नॉन वेज भी नहीं खाता,मुझे विश्व शांति के बजाय अपने देश की शांति की चिंता है ।और मैं सब्ज़ी लाने जा रहा हूँ अभी “।
शेरजंग जी और हरीराम जी ने एक दूसरे को देखा ,फिर आंख मारी और हँस पड़े।
मुझे देखकर हरीराम जी बोले-
“ठीक है ,तुम डफ़र टाइप का फूल आदमी है।लेकिन हमको तुमसे बात करके अच्छा लगा ।अबकी हम जब दिल्ली के अंदर का बंगाली मार्किट जाएगा तब तुम्हारे लिये खादी के कुर्ते खरीद कर लायेगा।तुम खादी पहनेगा तो हमारी तरह गांधी जी फिलॉसफी को फॉलो करेगा।क्या अब्बी देहाती आदमी की माफिक गमछा लेकर घूमता है “।
वो दोनों जाने लगे ।मैंने भी अपनी राह पकड़ी ।मैं असमंजस में था कि उन्हें किस तरह का अभिवादन करूँ ?मैं मुड़ चुका था तब तक शेर जंग जी ने पुकारा और कहा –
“फिर मिलेंगे,जय श्री राम”।
हरीराम जी का भी स्वर सुनायी पड़ा –
“मिलते रहना,जय श्री कृष्णा “।
मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था ,मैंने उन्हें पलट कर कहा “राम-राम”।
मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैंने उनसे क्या सुना ?जो मैंने सुना आपने भी वही सुना है क्या ?
समाप्त,,,
दिलीप कुमार