कानपुर कांड

0
211

जब थाने ही कानपुर में बिक जायेगे,
फिर कैसे अपराधी पकड़े जाएंगे।
जब पूछे जाएंगे ये प्रश्न प्रशासन से
तब प्रशासक भी मूक हो जाएंगे।।

जब थाने में मर्डर हो जाता है,
सारा थाना मूक हो जाता है।
फिर कैसे मिलेगी सजा अपराधी को,
न्यायधीश भी कुछ नहीं कर पाता है।।

जब पुलिस ही मुखबिर बन जाती है,
खबर अपराधी तक पहुंच जाती है।
फिर क्यो न होगा पुलिस का मर्डर
ये बात सभी को समझ में आती है।।

जब चोर उल्टा पुलिस को डाट रहा,
अपराधी पुलिस को थाने में डाट रहा।
फिर कैसे होगा अपराधों पर नियंत्रण,
यह प्रश्न अब उभर कर आ रहा।।

जब आठ पुलिस कर्मियों का मर्डर होता है,
सारा गांव देखकर भी चुप रहता है।
फिर कैसे पकड़े जाएंगे अपराधी
यह प्रश्न उभर कर अब मस्तिष्क में आता है।।

जब अपराधी को सरक्षण मिलता हो,
जब अपराध सरे आम बिकता हो।
फिर कैसे कम होगे अपराध देश मै,
ये प्रश्न आज देश सरकार से पूछता है।।

अगर अपराध कम करना देश में,
थानों का बिकना बन्द हो देश में।
कोई अपराधी न जाए संसद में,
उन्हें आरक्षण न मिले इस देश में।।

आर के रस्तोगी

Previous articleसंकट काल में महिलाएं हुई बेहाल
Next articleझोलाछाप डॉक्टर और कमीशनखोरी का धंधा
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here